ZEE जानकारी: कहीं आप काम के बोझ में मौत के करीब तो नहीं!
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ZEE जानकारी: कहीं आप काम के बोझ में मौत के करीब तो नहीं!

आप अपने मस्तिष्क को जीवन की गाड़ी का इंजन कह सकते हैं और सूझ-बूझ और निर्णय लेने की क्षमता को इसका ईंधन . लेकिन आप अपने मस्तिष्क पर जितना ज्यादा ज़ोर डालते हैं..उ

ZEE जानकारी: कहीं आप काम के बोझ में मौत के करीब तो नहीं!

अब हम देश के नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य का विश्लेषण करेंगे. DNA एक परिवार की तरह है. और परिवार के लोग एक दूसरे के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखते हैं. इसलिए आज हम आपके मानसिक स्वास्थ्य की बात करेंगे. हमारे इस विश्लेषण को Like, Share और Download किए जाने की गुंजाइश बहुत ज्यादा है..लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसा कुछ भी करने से पहले.आप आज अपने मन को टटोलें..और खुद से पूछें कि आप जो काम करते हैं..क्या आप उसे Like य़ानी पसंद भी करते हैं ? आपने आखिरी बार खुशियों को दूसरों के साथ Share कब किया था ? और अपनी जिंदगी में सकारात्मकता को Download करने के लिए आप क्या कर रहे हैं ?

अगर आपके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है तो फिर हमारा विश्लेषण आपको बहुत ध्यान से देखना चाहिए .जिस तरह किसी गाड़ी को चलाने के लिए ईंधन की ज़रूरत होती है..उसी तरह जिंदगी को चलाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है . गाड़ी की स्पीड बढ़ाने के लिए आपको Accelerator दबाना पड़ता है और आप जितना Accelerator दबाते हैं आपकी गाड़ी का ईंधन उतनी ही तेज़ी से खत्म होता है.

आप अपने मस्तिष्क को जीवन की गाड़ी का इंजन कह सकते हैं और सूझ-बूझ और निर्णय लेने की क्षमता को इसका ईंधन . लेकिन आप अपने मस्तिष्क पर जितना ज्यादा ज़ोर डालते हैं..उसका ईंधन उतनी जल्दी खत्म होने लगता है और कई बार ये ईंधन पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है.. और तब जीवन की गाड़ी अपनी जगह से नहीं हिल पाती..इसे ही मनोविज्ञान की भाषा में Burn-Out कहा जाता है . यानी एक ऐसी स्थिति जब आपका काम ही आपकी जान का दुश्मन बन जाता है और आपकी सफलता का ग्राफ ऊपर जाने की बजाय... तेज़ी से नीचे गिरने लगता है .

लोकप्रिय हस्तियां अक्सर इस Burn-Out का शिकार हो जाती हैं...लेकिन ये स्थिति किसी के साथ भी हो सकती है...आपके साथ भी . हो सकता है कि आप भी Burn-Out होने की दहलीज पर खड़े हो..और आपको इस बात अंदाज़ा भी ना हो . इसलिए आज हम Burn-Out वाली इस ज्वलंत समस्या का विश्लेषण कर रहे हैं . जिसे समझने के लिए पहले आपको उन हस्तियों के बारे में जानना होगा..जो लगाताकर काम करके थक चुके हैं और अब अपने काम से एक Break चाहते हैं .

Pewdiepie दुनिया के सबसे बड़े Youtube Star हैं . उनका असली नाम है Felix Arvid...Pewdiepie के Subscribers की संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है . और उनके Videos को 2400 करोड़ से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है . माना जाता है कि Pewdiepie.. You tube के ज़रिए अबतक 140 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा चुके हैं . लेकिन हाल ही में 30 साल के इस Youtuber ने ऐलान किया है कि वो अपने काम से थक चुके हैं और कुछ दिनों का ब्रेक लेना चाहते हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के उप कप्तान और बल्लेबाज़ रोहित शर्मा के बारे में भी खबर आ रही है कि वो अगले महीने श्रीलंका के साथ होने वाली T20 सीरीज़ में नहीं खेलेंगे.

रोहित शर्मा ने इस साल क्रिकेट के सभी Formats में कुल मिलाकर 2 हज़ार 442 रन बनाए हैं..जो अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है . रोहित शर्मा एक साल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं . लेकिन क्रिकेट से रोहित शर्मा का Break भी इस तरफ इशारा करता है कि कभी कभी आपका पेशा यानी Profession आपकी सेहत पर भारी पड़ने लगता है .

Pewdiepie और रोहित शर्मा ने तो वक्त रहते ब्रेक ले लिया है . लेकिन कई हस्तियां ऐसी भी हैं जो वक्त रहते..इस समस्या को समझ नहीं पाईं और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी .कॉमेडियन Tiffany Haddish, (हैंडिश )अमेरिकी गायक Beyonce, ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस हैरी की पत्नी Meghan Markle, अमेरिकी सिंगर और अभिनेत्री Selena Gomez और भारतीय मूल की Candian..YouTuber.. Lilly Singh भी Burn-Out का शिकार हो चुकी है.

Burn Out होने की वजह से..इनमें से कोई अपनी Stage Performance पूरी नहीं कर पाया..तो कोई डिप्रेशन में चला गया तो किसी को साल में सिर्फ 28 दिन ही ऐसे मिले...जब वो अपनी नींद पूरी कर सका . और हैरानी की बात ये है कि काम के बोझ का शिकार होने वाले इन लोगों की उम्र 28 से 40 वर्ष के बीच है .

लेकिन Burn Out की समस्या से सिर्फ लोकप्रिय हस्तियां ही परेशान नहीं है..बल्कि आम लोग भी इस संकट से जूझ रहे हैं और हो सकता है आप या फिर आपके परिवार का कोई सदस्य भी Burn-Out का शिकार हो .विश्व स्वास्थ्य संगठन Burn-Out को फिलहाल बीमारी तो नहीं लेकिन एक मानसिक समस्या ज़रूर मानता है.

WHO के मुताबिक ये एक ऐसा Syndrome है जो काम के दौरान होने वाले तनाव से पैदा होता है . और ये कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है . Burn-Out के लक्षण हैं...शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना और जल्दी थक जाना. अपने काम से एक दूरी बना लेना और मन लगाकर काम ना कर पाना . इसके अलावा मन में दूसरों के प्रति कुटिलता का भाव लाना और कार्यकुशलता का कम हो जाना भी...इस बात का इशारा है कि आप Burn Out के शिकार हो रहे हैं .

अमेरिकन कंपनी.. Gallup द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया के 23 प्रतिशत कर्मचारी मानते हैं कि वो अक्सर Burn-Out का शिकार हो जाते हैं, जबकि 44 प्रतिशत कर्मचारियों के मुताबिक वो कभी कभार इसके लक्ष्ण महसूस करते हैं . कर्मचारियों के Burn Out हो जाने की वजह से अमेरिका जैसे देशों की अर्थव्यवस्था को हर साल 8 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर साढ़े 13 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है .

Burn-Out हो चुके कर्मचारियों की वजह से कंपनियों को हर वर्ष 34 प्रतिशत ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है . भारत में 100 बड़ी कंपनियों के बीच किए गए एक सर्वे के मुताबिक 55 प्रतिशत कर्मचारी काम के वक्त दबाव महसूस करते हैं और अपनी क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं .

ब्रिटेन में की गई एक Study के मुताबिक कर्मचारियों द्वारा अचानक छुट्टी मांगने के पीछे मानसिक परेशानियां एक बड़ी वजह है . कर्मचारियों द्वारा अचानक छुट्टी लेने से...दुनिया की अर्थव्यस्था को हर साल 70 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है . क्षमता से अधिक काम...सिर्फ आपको मानसिक रोगी ही नहीं बनाता ...बल्कि इससे.. किसी की समय से पहले मौत भी हो सकती है . जापान में काम के बोझ से होने वाली मौतों को कारोशी कहा जाता है . वर्ष 2015 में जापान में.. 93 कर्मचारियों की मौतों को भी कारोशी से जोड़कर देखा गया था .

अब आप सोच रहे होंगे कि Burn-Out के लक्ष्णों को पहचाना कैसे जाए और कैसे पता लगाया जाए कि आप इसके शिकार हो चुके हैं..या होने वाले हैं . इसका सीधा सा फार्मूला ये है कि अगर आप अपने काम को पसंद कर रहे हैं और उसमें आपको आनंद आ रहा है..तो आप Burn Out के शिकार नहीं हैं . आपकी थकावट की वजह Performance Anxiety हो सकती है . लेकिन अगर आपका काम आपको सिर्फ तनाव दे रहा है और आप खुश नहीं हैं..तो ये खतरे की घंटी है...और इस बात की आशंका बहुत ज्यादा है कि आप Burn Out होने वाले हैं .

आगे हम आपको Burn Out से बचने के तरीके भी बताएंगे लेकिन पहले ये समझ लीजिए कि कई बार आपका काम ही आपको मानसिक रोगी कैसे बनाता है .

अपने दफ्तर में जब भी कभी.. आप आलोचना का शिकार होते हैं तो उस आलोचना के दौरान कहे गए शब्द आपके मन पर एक गहरी छाप छोड़ते हैं और आप घर लौटने पर भी उन शब्दों और उस घटनाक्रम को अपने मस्तिष्क में दोहराते रहते हैं.. यानी आप दिन के सबसे नकारात्मक पल को अपने मन में बार बार Re-play करते रहते हैं और आखिरकार इसका असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगता है . लेकिन भारत जैसे देशों में समस्या ये है कि मन पर लगी इस चोट पर कोई ध्यान नहीं देता है..यहां तक कि वो व्यक्ति भी इस चोट को नजरअंदाज कर देता है जो खुद इसका शिकार है .

अगर हमारे शरीर पर एक खरोंच भी आ जाती है..तो हम फौरन उस पर दवा लगा लेते हैं..या पट्टी बांध लेते हैं . लेकिन मन में आई खरोंचों को हम यूं ही खुला छोड़ देते हैं और धीरे-धीरे ये चोट आपकी आत्मा को भी जख्मी कर देती है .
कहा जाता है कि चिंता.. चिता के समान होती है..लेकिन अब ये चिता हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य को जलाकर खाक कर रही है और हम इस समस्या को लेकर अब भी आंखें मूंदकर बैठे हैं.

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