ZEE Jankari : माइनस 11 डिग्री में सेना ने आतंकियों के खिलाफ अंजाम दिया ऑपरेशन
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ZEE Jankari : माइनस 11 डिग्री में सेना ने आतंकियों के खिलाफ अंजाम दिया ऑपरेशन

कश्मीर घाटी में आए दिन इस तरह के Encounter होते रहते हैं. लेकिन, आज का Operation थोड़ा अलग है. क्योंकि Security Forces को बेहद ख़राब मौसम और भारी बर्फबारी के बीच ये Encounter करना पड़ा.

ZEE Jankari : माइनस 11 डिग्री में सेना ने आतंकियों के खिलाफ अंजाम दिया ऑपरेशन

अब हम आज का जोशीला DNA टेस्ट करेंगे,  जिसके केंद्रबिन्दु में हमारे देश के वीर सैनिक हैं. जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में आज एक Encounter हुआ है, जिसमें सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मार दिया है. वैसे तो कश्मीर घाटी में आए दिन इस तरह के Encounter होते रहते हैं. लेकिन, आज का Operation थोड़ा अलग है. क्योंकि Security Forces को बेहद ख़राब मौसम और भारी बर्फबारी के बीच ये Encounter करना पड़ा.

और इस दौरान उन्हें अपने सीने पर पत्थरबाज़ों के पत्थर भी झेलने पड़े. यहां सोचने वाली बात ये है, कि सिर्फ 10 डिग्री सेल्सियस में देश के मैदानी इलाक़ों में रहने वाले लोगों की हालत ख़राब हो जाती है वो ठंड से कांपने लगते हैं. लेकिन हमारे सैनिक, Minus 11 डिग्री सेल्सियस में आतंकवादियों की गोली का सामना भी करते हैं. और अपनी तरफ फेंके गए पत्थरों को भी बर्दाश्त करते हैं. ऐसी परिस्थितियों के बावजूद इनके जोश में कोई कमी नहीं आती.

भारी बर्फबारी के बीच भी भारत के सुरक्षाबलों को Counter-Insurgency Operations में लगातार सफलता मिल रही है और ये उनकी नई रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत ठंड के मौसम में भी Counter-Terror Operations को जारी रखने का फैसला लिया गया है. बर्फ की आड़ में घुसपैठ करने वाले आतंकवादी.. अपने Hideouts यानी छिपने वाली जगह से बाहर निकलते हैं और खुद को Expose कर देते हैं और इसी वजह से उन्हें मारने में परेशानी नहीं होती. पिछले दो महीनों में सुरक्षाबलों ने 62 आतंकवादियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया है. और ये सिलसिला लगातार जारी है. ठंड के मौसम में आतंकवादी अक्सर सुरक्षित ठिकानों की तलाश में रहते हैं. वो जंगल और पहाड़ी इलाकों से निकलकर कस्बों और गांवों के रिहाईशी इलाकों में छिप जाते हैं. वो ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि वो सुरक्षाबलों की नज़रों में ना आ सकें, क्योंकि, बर्फ से ढके ठिकानों में छिपे होने की वजह से उनकी गतिविधियों को Track किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर, उनके पैरों के निशान.

सेना की Patrol Party को बर्फ पर मौजूद पैरों के निशान देखकर, बड़ी आसानी से आतंकवादियों के छिपे होने की जगह और उनकी संख्या के बारे में पता चल जाता है. तमाम आंकड़ों से ये बात स्पष्ट हो जाती है, कि आतंकवाद विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों की रणनीति कामयाब हो रही है और जुलाई 2018 में 15 वर्षों के इंतज़ार के बाद शुरु किए गए, Cordon and Search Operations में भी सफलता मिली है. अगर यही सिलसिला चलता रहा, तो इस वक्त घाटी में मौजूद क़रीब ढाई सौ आतंकवादियों के दिन भी जल्द ही पूरे हो जाएंगे.

इस सफलता की एक बड़ी वजह है, भारतीय सेना और सुरक्षाबलों का जोश. आपने ध्यान दिया होगा, इन दिनों लगातार एक डायलॉग की चर्चा हो रही है. लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं, How Is The Josh ? और ये सवाल पूछने वालों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में National Museum of Indian Cinema का उद्घाटन किया था  और उस वक्त उन्होंने वहां मौजूद फिल्म इंडस्ट्री के तमाम लोगों से यही सवाल पूछा था, How Is The Josh ?... वहां मौजूद लोगों ने इस सवाल का वही जवाब दिया था, जो आम तौर पर एक भारतीय सैनिक देता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को नए भारत का Idea दे रहे थे  और How Is The Josh के जवाब में मिला High Sir का Response उसकी एक छोटी सी झलक है. हालांकि, खून में उबाल लाने वाले इस जोशीले सवाल का असली मतलब समझना है, तो आपको भारत के सुरक्षाबलों के पराक्रम को क़रीब से महसूस करना होगा और इसके लिए आपको हमारी ये छोटी सी रिपोर्ट देखनी होगी.

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