ZEE Jankari: व‍िदेशी मीड‍िया को भारत की संवेदनाओं की फ‍िक्र नहीं
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ZEE Jankari: व‍िदेशी मीड‍िया को भारत की संवेदनाओं की फ‍िक्र नहीं

अमेरिका के मशहूर अखबार The New York Times  ने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को एक Explosion कहकर इसकी गंभीरता को कम करने की कोशिश की है.

ZEE Jankari: व‍िदेशी मीड‍िया को भारत की संवेदनाओं की फ‍िक्र नहीं

आज सबसे पहले हम दुनिया के उन पत्रकारों को Expose करेंगे, जो पत्रकार नहीं बल्कि आतंकवाद के पहरेदार हैं। आज हम दुनिया के उन अखबारों को पत्रकारिता सिखाएंगे जो आतंकवादियों का सुरक्षा कवच बनना चाहते हैं. 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकवादी हमले में भारत के 40 जवान शहीद हुए थे. इस हमले ने हर भारतवासी के दिल में घाव कर दिया. लेकिन अमेरिका के मशहूर अखबार The New York Times को भारत के लोगों की संवेदनाओं की कोई फिक्र नहीं है. इस अखबार ने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को एक Explosion कहकर इसकी गंभीरता को कम करने की कोशिश की है. कल भारत के कुछ पाकिस्तान प्रेमी पत्रकारों के साथ मिलकर New York Times ने एक लेख प्रकाशित किया. जिसमें पुलवामा की आतंकवादी घटना को सिर्फ़ एक बम विस्फोट और धमाका कहा गया.

यहां सोचने वाली बात ये है कि अगर भारत का कोई अखबार या पत्रकार, अमेरिका में 9/11 की आतंकवादी घटना को सिर्फ एक Plane Crash कहें तो क्या अमेरिका का कोई भी नागरिक इसे स्वीकार कर पाएगा? क्या दुनिया ये मान लेगी कि 9/11 का आतंकवादी हमला सिर्फ एक प्लेन क्रैश था? इसी News Article में ये भी लिख दिया गया कि भारतीय वायुसेना की Air Strike में Target Miss हो गया. ये लोग एक Journalist की तरह नहीं बल्कि सेना के General की तरह व्यवहार कर रहे हैं और ये जता रहे हैं कि ये युद्ध विद्या के प्रकांड पंडित हैं. और इनके पास Air Conditioned कमरों में बैठकर दुनिया के किसी भी कोने में हो रही घटना को देख लेने की दिव्य दृष्टि है.

New York Times की तरह कई अन्य मीडिया समूह और एजेंसियां भी भारत को अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं. ये रवैया आज से नहीं, वर्ष 1947 से चला आ रहा है. भारत की बर्बादी की भविष्यवाणियां करना.... अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का प्रिय शौक है. इसलिए आज विदेशी मीडिया के इस Propaganda को समझना आपके लिए ज़रूरी है.

The New York Times का ये लेख आज Social Media पर Trend कर रहा है. लोग New York Times की इस गिरी हुई पत्रकारिता से आहत हुए हैं. इस लेख का शीर्षक है... In India’s Election Season, a Bombing Interrupts Modi’s Slump. हिंदी में इसका अर्थ है... कि भारत के चुनावी मौसम में एक बमबारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पतन को रोक दिया.

इस लेख में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज की आलोचना की गई है. लेकिन लेख की भाषा से New York Times का असली Agenda पूरी तरह Expose हो गया. कल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अज़हर को Global Terrorist घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव आने वाला है. लेकिन इससे ठीक पहले New York Times ने आतंकवादियों की चरणवंदना शुरू कर दी है. पुलवामा की भयानक आतंकवादी घटना को अखबार ने सिर्फ Bombing और Explosion कहकर निपटा दिया. शब्दों की ऐसी कलाकारी आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगी.

 ये लेख 1 हज़ार 513 शब्दों का है, लेकिन इन 1,513 शब्दों में एक बार भी terrorist attack यानी आतंकवादी हमले जैसी शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया गया है. लेख में terrorist शब्द सिर्फ़ दो बार इस्तेमाल हुआ है. लेख में मोदी शब्द का इस्तेमाल 31 बार हुआ है और अनुसूचित जाति को संबोधित किए जाने वाले शब्द का इस्तेमाल 11 बार हुआ है. इन संख्याओं से स्पष्ट है कि अखबार, 13 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक से पहले पूरी दुनिया का ध्यान आतंकवाद के मुद्दे से भटकाना चाहता है. ये वही मानसिकता है जो आतंकवादियों को Militant कहती है.
 
लेख में आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान को चुनाव जीतने के अभियान की तरह प्रस्तुत किया गया है. आश्चर्य की बात ये है कि 40 जवानों की मौत को New York Times ने Explosion कहा है और अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों से साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को भी Explosion कहा है.

अखबार ने लिखा है कि Under Mr. Modi, hate crimes against Dalits and Muslims, who make up a sizable minority in India, have exploded. इस लेख में कहा गया है कि भारत में अनूसूचित जातियों और मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं. हमें लगता है कि ये भारत के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है. इस तरह के लेखों के माध्यम से भारत को बांटने की साज़िश हो रही है. New York Times के इस लेख को 7 पत्रकारों ने मिलकर तैयार किया है. आपको जानकर दुख और आश्चर्य होगा कि इस भारत विरोधी लेख को तैयार करने वाले 4 पत्रकार भारत के ही हैं. भारत के खिलाफ भारत के ही डिज़ाइनर पत्रकार एजेंडा चलाते हैं. ये बहुत खतरनाक स्थिति है. सबसे बड़ी बात ये है कि 1 हज़ार 513 शब्दों के इस लेख में एक बार भी पुलवामा शब्द का ज़िक्र नहीं किया गया है.

इसकी जगह पर लिखा गया है... Bombing In Kashmir.
इसका सीधा सा मतलब ये है New York Times पुलवामा की आतंकवादी घटना को नहीं बल्कि कश्मीर की समस्या को Highlight करना चाहता है.
ज़रा New York Times की इस भाषा पर गौर कीजिए

A young suicide bomber blew up a military bus in Kashmir on Feb. 14, killing more than 40 troops.

एक खतरनाक और खूंखार आतंकवादी को इस अखबार ने Young Suicide Bomber लिखा है. इस लेख में आतंकवादी को स्पष्ट रूप से आतंकवादी कहने के बजाए 'युवा आत्मघाती हमलावर' कहा गया है. ऐसा करके New York Times ने बड़ी ही चालाकी से आतंकवादियों को महिमा मंडित किया है. ऐसा लगता है कि इस ख़बर को लिखने वाले पत्रकार... आतंकवादी की युवा अवस्था से काफी प्रभावित हैं. इस लेख को पढ़कर ये समझना मुश्किल है कि ये लोग Journalist हैं या फिर सेना के General हैं.

अखबार लिखता है-The fact that India’s airstrikes probably missed their targets. यानी अखबार ये दावा कर रहा है कि भारत के हवाई हमले, शायद अपने लक्ष्य से चूक गए थे. इस अखबार के पास कोई सबूत नहीं है. इस अखबार ने बालाकोट में मौजूद Targets पर कोई Ground Report भी नहीं की है. लेकिन फिर भी इसने ये घोषणा कर दी है कि भारत का हवाई हमला लक्ष्य से चूक गया. भारत की वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने Mig 21 Bison लड़ाकू विमान से पाकिस्तान के F16 को गिरा दिया और वो 60 घंटे में सकुशल लौट आया. ये भारत की विजय है. लेकिन अखबार ने क्या लिखा है.... ज़रा इस पर गौर कीजिए.

Some international analysts thought Mr. Modi’s military adventurism had backfired.

यानी कुछ अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सैन्य दुस्साहस का उलटा असर हुआ. अब तक आप समझ गये होंगे कि इस लेख के हर शब्द और हर वाक्य में झूठ और Propaganda की मिलावट की गई है. आपने Note किया होगा कि जब पुलवामा आतंकवादी हमले के दौरान ये सभी अखबार ख़ामोश थे. ये बड़े बड़े अखबार... आतंकवादियों को चरमपंथी कहते हैं और आतंकवादियों पर Air Strike होने के बाद विलाप करते हैं. इनके दोहरे मापदंड हर जगह नज़र आते हैं. अमेरिका पर 9/11 का आतंकवादी हमला, राष्ट्र पर हमला है. लेकिन भारत में पुलवामा में हुआ आतंकवादी हमला, कश्मीर की समस्या है. अमेरिका या ब्रिटेन में आतंकवादी हमला Geo Strategic मामला है... यानी सारी दुनिया की समस्या है लेकिन जब भारत पर आतंकवादी हमला. एक क्षेत्रीय समस्या है.

भारत में देशभक्ति का माहौल, हिंदू उग्रवाद है, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन में देशभक्ति की भावना बहुत प्यार भरी भावना है. भारत की खुफिया एजेंसियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, लेकिन CIA जो कहती है वो पत्थर की लकीर है. जब अमेरिका 9/11 का जवाब अफगानिस्तान पर हमले के साथ देता है, तब युद्ध ही समस्या का हल है. लेकिन जब भारत, पाकिस्तान पर दबाव बनाता है तो यही लोग भारत को उपदेश देते हैं कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं होता है.
 
कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार किसी थानेदार की तरह व्यवहार करते हैं. ये लोग भारत की घटनाओं पर भारत की सरकार से सवाल पूछते हैं, लेकिन अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में जब अमेरिकी बमवर्षक विमान, निर्दोषों को मार देते हैं तो यही पत्रकार खामोश हो जाते हैं. दुनिया पर अमेरिका के अवैध कब्जों पर यही विदेशी पत्रकार अमेरिका की सरकार से कभी कोई सवाल नहीं पूछते हैं.

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