ZEE जानकारी: 47 फीसदी नये वोटरों की पसंद हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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ZEE जानकारी: 47 फीसदी नये वोटरों की पसंद हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

महिला वोटरों ने भी राहुल गांधी के बजाय नरेंद्र मोदी को पसंद किया है. भारत में कुल 43 करोड़ महिला वोटर हैं. इनमें से 42 प्रतिशत महिला वोटरों ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया है और 25 प्रतिशत महिला वोटरों ने राहुल गांधी को वोट दिया है.

ZEE जानकारी: 47 फीसदी नये वोटरों की पसंद हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नए वोटरों ने राहुल गांधी के बजाय नरेंद्र मोदी को पसंद किया है. इस बार कुल 8 करोड़ नए वोटर थे. एक Study के मुताबिक 47 प्रतिशत नए वोटरों ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया है और 21 प्रतिशत नए वोटरों ने राहुल गांधी को वोट दिया है. जिन नए वोटरों ने मोदी को वोट दिया है. उनमें भी 28 प्रतिशत ने मोदी सरकार के कामकाज पर वोट दिया है. 34 प्रतिशत नए वोटरों ने पार्टी और उम्मीदवार के नाम पर वोट दिया है और 27 प्रतिशत नए वोटरों ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी को वोट दिया है. 

महिला वोटरों ने भी राहुल गांधी के बजाय नरेंद्र मोदी को पसंद किया है. भारत में कुल 43 करोड़ महिला वोटर हैं. इनमें से 42 प्रतिशत महिला वोटरों ने नरेंद्र मोदी को वोट दिया है और 25 प्रतिशत महिला वोटरों ने राहुल गांधी को वोट दिया है. जिन महिलाओं ने मोदी को वोट दिया है. उनमें भी 61 प्रतिशत महिलाओं ने मोदी सरकार के कामकाज को पसंद करते हुए मोदी को वोट दिया है. 29 प्रतिशत महिलाओं ने पार्टी और उम्मीदवार की वजह से मोदी को वोट दिया है और 5 प्रतिशत महिलाओं ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर मोदी को वोट दिया है. 

इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा नरेंद्र मोदी थे. विपक्ष नरेंद्र मोदी को हटाने का अभियान चला रहा था. विपक्ष के नेताओं ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करके मोदी समर्थकों और मोदी विरोधियों के बीच ध्रुवीकरण को और तेज़ किया. और फिर ये चुनाव, नरेंद्र मोदी के नाम पर एक जनमत संग्रह में तब्दील हो गया. चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी के लिए अभद्र भाषा को भी लोगों ने नकार दिया.

भारत में 2019 का चुनाव, करीब-करीब, अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के जैसा नज़र आ रहा था. फर्क सिर्फ इतना था कि अमेरिका में लोगों को ये पता होता है कि राष्ट्रपति पद के लिए चेहरे कौन हैं? लेकिन भारत में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई चेहरा ही नहीं था. Exit Polls के Trends देखकर ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी को इसका भी राजनीतिक लाभ मिला है. 

चुनाव में बड़ा सवाल यही था कि मोदी को वापस लाना है या फिर मोदी को हटाना है ? यही वजह है कि हर लोकसभा सीट पर स्थानीय सांसदों के कामकाज से ज्यादा चर्चा मोदी के कामकाज की हो रही थी. उम्मीदवारों के होने या नहीं होने का कोई मतलब नहीं रह गया था. हर सीट पर नरेंद्र मोदी ही चुनाव लड़ रहे थे. Voter MP नहीं बल्कि PM का चुन रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इन राजनीतिक परिस्थितियों से लाभ मिल रहा था. वो अपनी हर चुनावी सभा में ये कह रहे थे कि अगर आप कमल का Button दबाएंगे तो आपका वोट सीधे मोदी के खाते में चला जाएगा. बीजेपी के उम्मीदवारों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही वोट मांगा. ज्यादातर सीटों पर स्थानीय मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दों के चर्चा हो रही थी.

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