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नई दिल्ली: कोरोना काल में हम पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं. जूम मीटिंग से लेकर मेडिटेशन तक ज्यादातर समय हमारे कानों में ईयर फोन या हेडफोन लगे रहते हैं. खासतौर पर युवा इसका घंटों तक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईयरफोन या हेडफोन का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से आपकी सेहत को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं. अगर नहीं, तो आज आपको उन नुकसानों के बारे में बताएंगे. लेकिन उससे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि हमारे कान काम कैसे करते हैं.
हमारे कान का जितना हिस्सा आपको बाहर नजर आता है इसे पिन्ना (Pinna) कहते हैं. ये कान का सबसे कम महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, क्योंकि यही हमारे बोलने से पैदा होने वाली कम्पन को इकट्ठा कर कान के पर्दा (Ear Drum) तक पहुंचाता है. हवा के इस कम्पन से कान का पर्दा हिलता है, जो उससे जुड़ह कॉकलिया को हिलाता है. इसके बाद कॉकलिया इस कम्पन को दिमाग तक पहुंचाती है, जिसे समझ कर दिमाग शब्द का रूप देता है.
हमारे कान की बनावट ऐसी है कि अधिक से अधिक कम्पन अंदर जा सके. लेकिन जब आप ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं तो पिन्ना का काम ही खत्म हो जाता है. कम्पन सीधे-सीधे कान के पर्दे तक जाती है और यही कारण है कि आवाज ज्यादा साफ और तेज सुनाई देती है. ऐसे में सभी के मन में एक सवाल उठता है कि क्या ईयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल सुरक्षित है? इस सवाल का सीधा जवाब होगा, बिल्कुल नहीं. ईयर फोन और हेडफोन पर लगातार एक घंटे से ज्यादा म्यूजिक सुनना कानों के लिए खतरनाक होता है.
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जर्नल साइंसमेड की रिसर्च के अनुसार, ईयरफोन पर यदि आप 120 डेसिबल पर गाना सुनते हैं तो एक घंटे लगातार सुनने से आपके कानों को नुकसान पहुंचेगा. क्योंकि कानों की सुनने की क्षमता 90 डेसिबल होती है. ज्यादा देर तक तेज आवाज में गाने सुनने पर धीरे-धीरे व्यक्ति की सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसिबल तक कम हो जाती है. इतना ही नहीं, तेज आवाज से म्यूजिक सुनने से कानों के साथ-साथ हार्ट को भी नुकसान पहुंचता है. रिसर्च के अनुसार, तेज आवाज से हार्ट बीट तेज हो जाती है. इसकी वजह से हार्ट को नुकसान पहुंचने लगता है, और हार्ट अटैक भी आ सकता है.
ईयरफोन कितना नुकसान करेगा यह इस पर निर्भर करता है कि आप लगातार कितनी तेज आवाज में संगीत सुनते हैं. क्योंकि ज्यादा तेज संगीत पर्दे पर ज्यादा दबाव डालता है और इससे कान के पर्दे को नुकसान पहुंचता है. वैज्ञानिकों की मानें तो ईयरफोन इस्तेमाल करने पर फोन की वॉल्यूम कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं करनी चाहिए. इतना ही नहीं, ईयरफोन लगाने से कान में खुजली, कान में दर्द और अजीब आवाज आना, कम सुनाई देना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. गंभीर केस में बहरापन और कान का पर्दा फटने जैसी समस्या हो सकती है.
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ईयरफोन के मुकाबले हेडफोन ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसका कारण यह है कि हेडफोन कान के ऊपर लगता है जबकि ईयरफोन कान के अंदर लगता है. ईयरफोन में कम्पन की कान के पर्दे से दूरी कम होती है, इसलिए हेडफोन अधिक सुरक्षित हैं. इससे कानों को ईयरफोन के मुकाबले थोड़ा कम नुकसान पहुंचता है.
ईयरफोन से विद्युत चुंबकीय तरंगें निकलती हैं. ये तरंगें व्यक्ति के दिमाग पर बुरा असर डालती हैं. इसकी वजह से नींद न आने और सिरदर्द की समस्या हो सकती है. इसके अलावा एक बात हमेशा याद रखें कि आपको अपने ईयरफोन किसी के साथ शेयर नहीं करने हैं. अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने ईयरफोन या हेडफोन दोस्तों, रिश्तेदारों या फिर भाई-बहन के साथ कुछ समय के लिए शेयर करते हैं. ऐसा कभी गलती से भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कान में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
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इन सभी समस्याओं से बचने के लिए केवल जरूरत पड़ने पर ही ईयरफोन (Earphone) का इस्तेमाल करें और कोशिश करें कि इस दौरान ईयरफोन की आवाज 50 प्रतिशत से ज्यादा तेज न हो. इसके अलावा हमेशा अच्छी क्वॉलिटी के ही ईयरफोन इस्तेमाल करें. अगर आप 45 मिनट तक हेडफोन या ईयरफोन के इस्तेमाल के बाद कानों का थोड़ा आराम देते हैं तो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.
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