अब जल्द पता लग सकेगा बच्चों में डायबिटीज का खतरा, वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक
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अब जल्द पता लग सकेगा बच्चों में डायबिटीज का खतरा, वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक

डायबिटीज, एक ऐसी बीमारी जो धीरे-धीरे हमारे जीवन में घुसती जा रही है, अब बच्चों के लिए भी खतरा बन गई है. लेकिन चिंता मत कीजिए, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है जो बच्चों में डायबिटीज होने के खतरे को पहले ही बता सकती है.

अब जल्द पता लग सकेगा बच्चों में डायबिटीज का खतरा, वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक

एक क्रांतिकारी बदलाव! डायबिटीज, एक ऐसी बीमारी जो धीरे-धीरे हमारे जीवन में घुसती जा रही है, अब बच्चों के लिए भी खतरा बन गई है. लेकिन चिंता मत कीजिए, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है जो बच्चों में डायबिटीज होने के खतरे को पहले ही बता सकती है.

लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने एक नई ब्लड टेस्ट तकनीक विकसित की है, जो लिपिड्स का उपयोग करके उन बच्चों की पहचान कर सकती है, जिन्हें मोटापे से संबंधित समस्याओं जैसे टाइप 2 डायबिटीज, लीवर और दिल की बीमारी का खतरा अधिक होता है. यह नई खोज बच्चों के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करने वाले डिसऑर्डर और लिपिड्स के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध की ओर इशारा करती है, जो भविष्य में बीमारियों की शुरुआती चेतावनी प्रणाली के रूप में काम कर सकती है. इस अध्ययन को 'नेचर मेडिसिन' में प्रकाशित किया गया है.

लिपिड्स और बच्चों की सेहत पर इसका प्रभाव
लिपिड्स को लंबे समय से शरीर में फैटी एसिड और कोलेस्ट्रॉल के गुड या बैड प्रकार के रूप में देखा जाता है. लेकिन, इस शोध ने इस धारणा को चुनौती दी है और यह बताया है कि शरीर में हजारों प्रकार के लिपिड्स होते हैं, जिनके अलग-अलग काम होते हैं. वैज्ञानिकों ने 1,300 मोटे बच्चों के ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया और पाया कि विशेष प्रकार के लिपिड्स बच्चों के मोटापे और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं. इसके बाद, 200 बच्चों को एक वर्ष के लिए डेनमार्क में लोकप्रिय लाइफस्टाइल इंटरवेंशन मॉडल 'होलबैक' पर रखा गया. परिणामों में देखा गया कि इस इंटरवेंशन के बाद उन बच्चों में डायबिटीज, इंसुलिन रजिस्टेंस और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े लिपिड्स की मात्रा कम हो गई, हालांकि कुछ बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में सुधार सीमित रहा.

शोधकर्ताओं की राय
किंग्स कॉलेज लंदन में सिस्टम मेडिसिन की प्रमुख और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. क्रिस्टीना लेगीडो-क्विगली ने कहा कि लिपिड्स के प्रकारों की व्यापक जांच करके हम बीमारियों के शुरुआती संकेतों को देख सकते हैं. यह एक नई तरह की टेस्ट प्रणाली हो सकती है, जो पर्सनल खतरों का मूल्यांकन करेगी और भविष्य में मेटाबॉलिक बीमारियों को रोकने में मदद कर सकती है.

भविष्य की दिशा
शोधकर्ता अब यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे जेनेटिक लिपिड्स को प्रभावित करती है और मेटाबोलिक बीमारियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है. साथ ही, वे यह भी अध्ययन कर रहे हैं कि शरीर में लिपिड्स को कैसे बदला जा सकता है ताकि बच्चों की सेहत बेहतर हो सके. यह तकनीक हेल्थ सेक्टर में एक बड़ा बदलाव ला सकती है और बच्चों में गंभीर बीमारियों का जल्द पता लगाने में मददगार हो सकती है.

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