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नई दिल्ली : क्या आप कभी अपनी जॉब के साथ टैक्सी चलाना चाहेंगे? क्या आप अपने वीकेंड्स दूसरी नौकरी करते हुए बिताना चाहेंगे? आपको भी ये सवाल अटपटे लग सकते हैं. लेकिन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर (software engineer) को हर संडे मुंबई की सड़कों पर काली-पीली टैक्सी (kaali-peeli Texi) चलाते हुए देखा जा सकता है. दिलचस्प बात ये है कि ये इंजीनियर पैसे कमाने के लिए ऐसा नहीं कर रहा. जानें आखिर क्या है पूरा मामला.
नीलेश अर्टे (Nilesh Arte) पेशे से पुणे की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. लेकिन रविवार को काली पीली टैक्सी चलाते हैं. नीलेश सालभर में 30 संडे ऐसा करने वाले हैं.
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नीलेश का मानना है कि मुंबई की सड़कों पर काली और पीली टैक्सी अपने आप में कई मायनों में शहर को प्रजेंट करती है. साथ ही बचपन में नीलेश अपने पिता के साथ घूमने जब भी जाते थे तो वे काली-पीली टैक्सी में बैठकर ही जाया करते थे. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को महानगर में टैक्सी ड्राइवर चलाने पर किसने मजबूर किया.
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नीलेश ने टीओआई को इंटरव्यू देने के दौरान बताया कि वे टैक्सी चलाकर एक तो उन सड़कों पर भी घूमकर अपने बचपन की यादें ताजा कर लेते हैं जिन पर वे अपने पिता के साथ जाया करते थे. दूसरा, वे लोगों का व्यवहार देखना चाहते थे. नीलेश मानते हैं कि मुंबई प्रोफेशनल लोगों की नगरी है. लेकिन ये बात कितनी सच है. इसे जानने के लिए नीलेश ने टैक्सी ड्राइवर की ड्रेस पहनकर टैक्सी चलाना शुरू किया.
टैक्सी चलाने के दौरान नीलेश ने पाया कि टैक्सी ड्राइवर की ड्रेस देखकर लोग उसे गरीब वर्ग की नजर से देखते हैं. साथ ही जब वो किसी अच्छे रेस्टोरेंट में ड्राइवर की ड्रेस पहनकर जाते तो रेस्टोरेंट में या तो उन्हें एंट्री नहीं मिलती या फिर उन्हें बहुत खराब दृष्टि से देखा जाता है.
नीलेश लोगों के इस व्यवहार से निराश हैं. उनके मुताबिक, अगर आप प्रोफेशनल हैं तो आपका नजरिया गरीबों के प्रति या टैक्सी ड्राइवर्स के लिए ऐसा नहीं होना चाहिए.
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