लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान में BSP प्रत्याशी चुनावी मुकाबले को बना रहे हैं त्रिकोणीय
Advertisement

लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान में BSP प्रत्याशी चुनावी मुकाबले को बना रहे हैं त्रिकोणीय

यूपी की राजनीति में सक्रिय बीएसपी का अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों में ज्यादा प्रभाव माना जाता है. भरतपुर और धौलपुर के साथ ही करौली, सवाईमाधोपुर, दौसा, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनूं, अलवर सीट पर इसका असर है.

विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी के 6 विधायकों ने जीत दर्ज की थी. (फाइल फोटो)

जयपुर: लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बहुजन समाज पार्टी ने राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. बीएसपी के रणनीतिकारों को लोकसभा चुनाव में पहली बार राज्य से जीत की आस है. 

आपको बता दें कि, राज्य की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय बसपा ने कुछ साल में उतार-चढ़ाव भी देखा है. लेकिन अभी तक लोकसभा में बीएसपी का राजस्थान से कोई सांसद नहीं चुना गया है. चुनाव की घोषणा के बाद 19 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करने वाले बीएसपी के 6 विधायक 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान जीतने में कामयाब हुए थे. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बसपा की मौजूदगी से कांग्रेस और बीजेपी की टेन्शन बढ़ सकती है. 

राज्य के इन जिलों में है बीएसपी का प्रभाव 
यूपी की राजनीति में सक्रिय बीएसपी का अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों में ज्यादा प्रभाव माना जाता है. प्रभाव वाले इलाकों की बात करें तो इसमें उत्तर प्रदेश से लगने वाले जिले भरतपुर और धौलपुर के साथ ही करौली, सवाईमाधोपुर, दौसा, जयपुर ग्रामीण, झुंझुनूं, अलवर सीट पर इसका असर है. विधानसभा चुनाव के दौरान झुंझुनूं और करौली ज़िले से बीएसपी के एक-एक विधायक जीते हैं. वहीं, अलवर और भरतपुर जिले से दो-दो विधायक चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं. 

कांग्रेस और बीजेपी के लिए बीएसपी प्रत्याशी हैं चुनौती
बसपा ने अभी तक ज़िन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं वो चेहरे ऐसे हैं जो कुछ सीटों पर बीजेपी को तो कुछ सीटों पर कांग्रेस को परेशान कर सकते हैं. इस बार जयपुर शहर से उमराव सालोदिया को पार्टी ने टिकट दिया है. सालोदिया पूर्व आईएएस रहे हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले सालोदिया ने सेवा में रहते हुए ही बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके इस्लाम धर्म कुबूल किया था. माना जा रहा है कि सालोदिया एससी और माइनॉरिटी के वोट ले सकते हैं. ऐसा हुआ तो उसका खामियाजा कांग्रेस को ज्यादा भुगतना होगा. बाड़मेर से बीएसपी ने पंकज चौधरी को टिकट दिया है हालांकि निर्वाचन अधिकारी ने पंकज का नामांकन निरस्त कर दिया है. वहीं, जोधपुर से आईपीएस रहे पंकज चौधरी की पत्नी मुकुल पंकज चौधरी को टिकिट मिला है. अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली चौधरी एससी वोटों में सेंध लगा सकती हैं.

ये प्रत्याशी वोटों में लगा सकते हैं सेंध
इसके अलावा जालौर से उम्मीदवार भागीरथ बिश्नोई बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाने वाले वोटों में सेंध लगा सकते हैं. जिसका खामियाजा बीजेपी को भूगतना सकता है. पाली उम्मीदवार शिवाराम मेघवाल एससी समुदाय से आते हैं. सामान्य सीट से प्रत्याशी बनने वाले मेघवाल कांग्रेस की वोट बैंक पर नजरें गड़ाए हुए है. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ से बीएसपी ने जगदीश शर्मा को टिकट दिया है. जबकि यहां से बीजेपी के सीपी जोशी और कांग्रेस के टिकट पर गोपाल सिंह ईड़वा मैदान में हैं. ऐसे में शर्मा की मौजूदगी उनकी जाति के वोट के नज़रिये से सीपी जोशी को, जबकि बीएसपी के कोर वोट को देखें तो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी. वहीं, अलवर से इमरान खान की मौजूदगी कांग्रेस को परेशान कर रही है. 

इधर कोटा उम्मीदवार हरीश कुमार भी बसपा का कोर वोट बैंक अपनी तरफ़ आकर्षित करने में कामयाब होने के बाद कांग्रेस को ही बड़ा नुकसान कर सकते हैं. झालावाड़ से डॉ बद्रीप्रसाद, उदयपुर से केशुलाल, अजमेर से कर्नल दुर्गालाल अभी तक चुनाव में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे हैं. टोंक-सवाईमाधोपुर से लक्ष्मीकांत बैरवा की मौजूदगी नमोनारायण मीणा को परेशान कर रही है. हालांकि बीजेपी प्रत्याशी के समर्थकों का दावा है कि एससी वोट उनके साथ बड़ी संख्या में है. वहीं, बांसवाड़ा से बापूलाल भील, राजसमन्द से चैनाराम गोदारा भी अभी तक चुनाव में अपनी सक्रियता नहीं बढ़ा पाए हैं. 

बीकानेर से भैंराराम मेघवाल हैं उम्मीदवार
बीकानेर से भैंराराम मेघवाल की मौजूदगी तीन मेघवाल चेहरों के बीच मुकाबला रोचक बना रही है. ऐसे में यहां मेघवाल वोट तो बंटेगें. लेकिन दूसरे वोटों पर मजबूत पकड़ बनाने वाले को ही यहां बढ़त मिलेगी. जबकि चूरू से हरिसिंह चाहर को पार्टी ने टिकट दिया है, जो जाट समाज से आते हैं. ऐसे में यहां बसपा मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी राहुल कस्वां को बड़ा नुकसान कर सकती है. जबकि जयपुर ग्रामीण से प्रत्याशी विरेन्द्र सिंह विधूड़ी गुर्जर वोटों में बड़ी सेंध लगा सकते हैं. 

कांग्रेस के टिकट के दावेदार बीएसपी से लड़ रहे हैं चुनाव
करौली-धौलपुर से रामकुमार बैरवा बीएसपी के प्रत्याशी है. कांग्रेस के टिकिट पर पूर्व प्रधान और ज़िला प्रमुख रहे बैरवा खुद कांग्रेस के लोकसभा टिकट दावेदार थे, लेकिन टिकट कटने के बाद वे बीएसपी में शामिल हो गएं. बताया जा रहा है कि यहां से बैरवा को टिकट नहीं मिलने से बैरवा समाज में भारी नाराज़गी है और यह नाराजगी कांग्रेस के संजय जाटव के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है. बैरवा समाज का दावा है कि उन्हें रामकुमार बैरवा के रूप में एक विकल्प भी मिल गया है. वैसे विधानसभा चुनाव में भी बसपा करौली सीट जीत चुकी है. ऐसे में यहां पार्टी का जनाधार मजबूत दिख रहा है. इनके अलावा सीकर से सीता देवी भी चुनावी मैदान में उतरी हैं.

Trending news