राजस्थान: हनुमान बेनीवाल को 'कमल' निशान से चुनाव लड़ाने पर BJP में हो रहा मंथन
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राजस्थान: हनुमान बेनीवाल को 'कमल' निशान से चुनाव लड़ाने पर BJP में हो रहा मंथन

बीजेपी ने इस बार प्रदेश में 24 सीटों पर ही पार्टी के प्रत्याशी उतारे हैं. पार्टी ने इस बार एक सीट पर गठबंधन उम्मीदवार को समर्थन दिया है. 

नागौर से हनुमान बेनीवाल आरएलपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं

जयपुर: हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी का चुनाव चिन्ह बदल गया है. अबकी बार आरएलपी को 'बोतल' की जगह 'टायर' के चिन्ह पर चुनाव लड़ना पड़ेगा और यही बात आरएलपी के साथ ही बीजेपी को परेशान कर रही है. पार्टी को लग रहा है कि 'टायर' के चक्के के फेर में कहीं कांग्रेस को बढ़त न मिल जाए. इसी परेशानी से जूझ रही बीजेपी अब समाधान की अलग-अलग संभावनाओं पर विचार कर रही है. एक विचार इस पर भी हो रहा है कि क्या हनुमान बेनीवाल को 'कमल' निशान से चुनाव लड़ाया जा सकता है?

बीजेपी ने इस बार प्रदेश में 24 सीटों पर ही पार्टी के प्रत्याशी उतारे हैं. पार्टी ने इस बार एक सीट पर गठबंधन उम्मीदवार को समर्थन दिया है. नागौर से हनुमान बेनीवाल आरएलपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और पार्टी ने आरएलपी से चुनाव पूर्व एलायंस करके उन्हें एनडीए में शामिल किया है. बीजेपी ने कई दौर के मंथन में नागौर समेत अलग-अलग सीटों पर हनुमान बेनवाल और उनकी पार्टी के असल का आकलन किया और उसके बाद आरएलपी के साथ एलायंस किया. 

बीजेपी को पहले लग रहा था नागौर से सिर्फ हनुमान ही जिताऊ प्रत्याशी हो सकते हैं, लेकिन अब चुनाव का रंग चढ़ने के साथ ही बीजेपी में कुछ अलग तरह की रिएक्शन आने लगी है. पार्टी के एक धड़े को लगता है कि हनुमान की जीत, 'ज्योति' की ज्वाला में झुलस सकती है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस बार 'बोतल' की बजाय 'टायर' के निशान पर आरएलपी को चुनाव लड़ना होगा. पार्टी के कुछ लोग मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में बेनीवाल की पार्टी के चुनाव चिन्ह 'बोतल' ने पहचान बनाई थी लेकिन अब 'टायर' पर चुनाव लड़ना पार्टी को महंगा पड़ सकता है. पार्टी को इस बात की आशंका है कि 'टायर' की हवा निकल गई तो मोदी के मिशन में एक सीट कम पड़ सकती है. इसलिए बीजेपी फूंक-फूक कर कदम रख रही है.

वहीं अभी हनुमान बेनीवाल ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. 18 अप्रेल को उनका नॉमिनेशन दाखिल होना है और उससे पहले बीजेपी में मंथन ज़ोरों पर है. पार्टी में अलग-अलग संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है. पार्टी में एक विचार यह है कि बेनीवाल को 'टायर' के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ाया जाना चाहिए. इस राय के पैरोकारों का कहना है कि बेनीवाल और उनके समर्थन अपनी पार्टी के खाते में एक सीट लाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे. इस कोशिश में बीजेपी के संगठन का सहयोग मिला तो बेनीवाल ज्यादा मजबूत होंगे और सीट निकल सकती है.

साथ ही बीजेपी में एक धड़ा ऐसा भी है जो बेनीवाल को एनडीए के एलायंस की बजाय बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव मैदान में उतारने का पक्षधर है. पार्टी में इस पक्ष के लोगों का कहना है कि ऐसा होने पर बीजेपी का कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से चुनाव मैदान में लगेगा. साथ ही बेनीवाल की कोर टीम और आरएलपी के कार्यकर्ता अपने नेता को जिताने के लिए मजबूती से मेहनत करेंगे. 

बेनीवाल को 'टायर' की बजाय 'कमल' निशान पर चुनाव लड़ाने के पैरवी तो की जा रही है. लेकिन इसमें बेनीवाल की विधानसभा सदस्यता जाने का खतरा भी हो सकता है. इस बात पर पार्टी के रणनीतिकारों ने मजबूत तोड़ सुझाते हुए आरएलपी के पूरे विधायक दल का ही विलय करने का सुझाव दिया है. इनका कहना है कि अलग पूरे विधायक दल का विलय कर लिया जाए तो बेनीवाल की सदस्यता पर भी संकट नहीं होगा और पार्टी नागौर के चुनाव में मजबूत भी हो जाएगी. 

वहीं बीजेपी के रणनीतिकारों ने सुझाया है कि इसके लिए बेनीवाल के नॉमिनेशन फॉर्म के साथ एक अतिरिक्त सेट बीजेपी के चुनाव चिन्ह के साथ भी दाखिल कर दिया जाना चाहिए. जिससे पार्टी को इस पर फैसला करने में और समय मिल जाएगा. हालांकि अभी बीजेपी के इस विचार पर हनुमान बेनीवाल ने सहमति नहीं दी है लेकिन उनके दिमाग में भी चुनाव चिन्ह को लेकर दूसरा विचार भी शुरू तो हो ही गया है.

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