Exit Poll 2019 के संकेत: राहुल गांधी के दांव हुए फेल, राफेल से लेकर 'न्‍याय' का नारा भी फुस्‍स
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Exit Poll 2019 के संकेत: राहुल गांधी के दांव हुए फेल, राफेल से लेकर 'न्‍याय' का नारा भी फुस्‍स

Exit Poll 2019 को देखकर लग रहा है कि भाजपा का राष्ट्रवाद, प्रदर्शन और काम के जरिए राहत पहुंचाने पर जोर कांग्रेस के उस अभियान पर भारी पड़ा जिसका जोर प्रधानमंत्री को निशाना बनाने और आर्थिक मुद्दों पर सवाल उठाने पर था.

राहुल गांधी ने चुनाव में राफेल का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. फाइल फोटो

नई दिल्ली: एग्जिट पोल में कांग्रेस जिस तरह का बुरा प्रदर्शन करती दिख रही है अगर वे सही साबित हुए तो इससे यही नतीजा निकलेगा कि राफेल सौदे, न्यूनतम आय योजना (न्याय), बेरोजगारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'अहंकार' जैसे उसके मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करने में असफल रहे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस की गठबंधनों को करने में देरी या असफलता की तरफ भी एग्जिट पोल इशारा कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि भाजपा का राष्ट्रवाद, प्रदर्शन और काम के जरिए राहत पहुंचाने पर जोर कांग्रेस के उस अभियान पर भारी पड़ा जिसका जोर प्रधानमंत्री को निशाना बनाने और आर्थिक मुद्दों पर सवाल उठाने पर था.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और संवैधानिक संस्थाओं पर मोदी सरकार के 'हमलों' को उठाते रहे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी का फोकस राष्ट्रवाद और 'मजबूत सरकार' पर तो बना रहा, लेकिन उनके आक्रमण की धार बार-बार बदली और ताजा नजर आती रही. राहुल गांधी को ऐसा लगा कि वह मोदी की विश्वसनीयता का क्षरण कर रहे हैं, लेकिन एग्जिट पोल से ऐसा लग रहा है कि उनकी यह रणनीति सफल नहीं हुई और जमीनी स्तर पर इसका कोई लाभ नहीं मिला.

राफेल मामले में राहुल को ही लगा झटका
राफेल मामले को लेकर कांग्रेस के मोदी सरकार के खिलाफ अभियान को उस वक्त आघात पहुंचा जब गांधी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर गलत उद्धरण दिया और अदालत ने उन्हें माफी मांगने पर बाध्य किया. कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि राफेल मामले में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी को शीर्ष अदालत से गलत तरीके से जोड़ देने पर राहुल गांधी द्वारा मांगी गई माफी ने पार्टी के चुनावी अभियान को नुकसान पहुंचाया. पार्टी पदाधिकारी ने अपना नाम नहीं जाहिर करने की शर्त के साथ कहा कि यह घटना चुनाव के ठीक बीच में हुई और भाजपा ने इसका पूरा लाभ उठाया.

विपक्षी नेता का मानना, राहुल को पीएम को चोर नहीं कहना था
विपक्ष के एक नेता ने भी नाम नहीं जाहिर करने की शर्त के साथ कहा कि राहुल गांधी को लगातार, अंतहीन तरीके से राफेल मामले में मोदी को 'चोर' नहीं बुलाना चाहिए था क्योंकि इस बात को लोगों ने पसंद नहीं किया. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश पार्टी के लिए एक कमजोर कड़ी बना हुआ है. पार्टी राज्य में सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि पार्टी कुछ कर भी नहीं सकती थी, क्योंकि गठबंधन में उसे शामिल नहीं किया गया और उसे अकेले चुनाव लड़ना पड़ा.

गठबंधन करने के मामले में भी कांग्रेस पिछड़ी
बिहार में भी कांग्रेस व राजद के बीच गठबंधन के दौरान सीट बंटवारे पर भारी तनातनी देखने को मिली. गांधी ने न्याय योजना पर काफी भरोसा किया जिसके तहत देश की गरीब बीस फीसदी आबादी को हर साल 72 हजार रुपये देने का वादा किया गया. लेकिन, इस योजना से पहले ही मोदी सरकार पीएम-किसान योजना लागू कर चुकी थी, जिसके तहत हर गरीब किसान परिवार को हर साल छह हजार रुपया मिलना है. इसकी दो हजार रुपये की किश्त (हर चार महीने पर दो-दो हजार का भुगतान साल में होना है) इन किसानों के बैंक खातों में चुनावी मौसम में पहुंची भी, सरकार ने पूरी तरह सुनिश्चित किया कि यह इसके लाभार्थियों तक पहुंचे.

राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को जनवरी में पार्टी महासचिव नियुक्त किया, लेकिन यह चुनाव के इतने नजदीक हुआ कि वह उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए कोई निर्णायक असर नहीं डाल सकीं.

योगेंद्र यादव बोले-कांग्रेस को मर जाना चाह‍िए
एग्जिट पोल के नतीजों के सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, "कांग्रेस को निश्चित ही मर जाना चाहिए. अगर यह आइडिया आफ इंडिया को बचाने के लिए इस चुनाव में भाजपा को नहीं रोक सकी, तो इस पार्टी की भारतीय इतिहास में कोई सकारात्मक भूमिका नहीं है. आज यह देश में एक विकल्प के निर्माण की राह की सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है."

बाद में एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, "मेरा यह कहना कि इस पार्टी की भारतीय इतिहास में कोई सकारात्मक भूमिका नहीं है, से शायद कोई भ्रम पैदा हुआ हो. मैं स्वतंत्रता से पहले और इसके तुरंत बाद कांग्रेस की महान भूमिका से इनकार नहीं कर सकता. मैं जो कहना चाह रहा हूं वह यह है कि पार्टी की अब इतिहास में निभाने के लिए कोई सकारात्मक भूमिका नहीं बची है."

कांग्रेस नेता पी.सी.चाको ने कहा कि पार्टी के प्रदर्शन पर कोई टिप्पणी करने से पहले 23 मई को चुनाव नतीजे आने का इंतजार करना चाहिए. चाको से पूछा गया कि क्या कांग्रेस ने राफेल मामले पर कुछ ज्यादा ही भरोसा तो नहीं कर लिया और अगर नतीजे एग्जिट पोल जैसे रहे तो इसका अर्थ यह तो नहीं होगा कि महागठबंधन में पार्टी के नहीं होने से ऐसा हुआ?

चाको ने जवाब में कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भाजपा की कम से कम सौ सीटें कम होनी चाहिए थीं लेकिन ऐसा लग रहा है कि पार्टी ने अपनी सीटें बचा ली हैं. हमें ऐसा होने की संभावना नहीं लगी थी.

कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि पार्टी को पूरी उम्मीद है कि कांग्रेसनीत संप्रग, राजग से आगे रहेगा. उन्होंने कहा, "चुनाव की मूल बात वह खामोश मतदाता है जिसने या तो खुद को व्यक्त नहीं किया है या बने बनाए प्रचलित जवाब को ही दोहरा दिया है. हाशिए पर पड़े समुदायों और अल्पसंख्यक समाज में भय और असुरक्षा की भावना बेहद चिंताजनक स्तर पर है."

भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि सभी एग्जिट पोल बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री भाजपानीत राजग सरकार का फिर नेतृत्व करने जा रहे हैं. इससे साफ है कि मतदाताओं ने उनके नेतृत्व, बीते 5 साल के प्रदर्शन और भविष्य के विजन पर मुहर लगाई है.
रविवार को जारी हुए विभिन्न एग्जिट पोल से यह नतीजा निकल रहा है कि हालांकि कांग्रेस 2014 के 44 सीट के आंकड़े से ऊपर तो जा सकती है लेकिन सौ का आंकड़ा पार नहीं कर सकेगी.

न्यूज 18-आईपीएसओएस के एग्जिट पोल का तो कहना है कि कांग्रेस केवल 46 सीट ही पाएगी. अगर ऐसा हुआ तो पार्टी एक बार फिर लोकसभा में विपक्षी नेता का दर्जा हासिल नहीं कर सकेगी. टाइम्स नाऊ-वीएमआर पोल का कहना है कि कांग्रेस को 78 सीट मिल सकती हैं जबकि इंडिया टीवी पोल का अनुमान 76 सीट का है. न्यूजएक्स-नेता ने पार्टी को 107 सीटें मिलने का अनुमान जताया है.

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