उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं. राजनाथ सिंह ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को पराजित किया था.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की लखनऊ शहर अपनी खास नजाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बागों और चिकन की कढ़ाई के काम के लिए जाना जाता है. शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है. नवाबों के शहर के नाम से मशहूर लखनऊ गोमती नगर के किनारे बसा हैं. साल 1991 से अब-तक बीजेपी का लखनऊ की सीट पर कब्जा रहा है. लखनऊ में कुल 9 विधानसभा की सीटें हैं. लखनऊ कैंट, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तरी, लखनऊ पूर्व, बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, सरोजनी नगर और मोहनलालगंज.
क्या था 2014 का समीकरण
उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं. राजनाथ सिंह ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को पराजित किया था. इस सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी. तीसरा स्थान पर बसपा के नकुल दुबे, चौथे स्थान पर सपा के अभिषेक मिश्रा और पांचवें पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जावेद जावरी रहे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी से हाथ मिलाया और अब वो यूपी सरकार में कैबिनट मंत्री हैं.
लखनऊ की राजनीतिक इतिहास
यूपी की लखनऊ लोकसभा सीट में पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनके नाम लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व,लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट हैं. यहां हुए पहले तीन आम चुनाव लगातार कांग्रेस ने जीते थे. साल 1967 में हुए आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण ने जीत दर्ज की. साल 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की शीला कॉल और 1977 में हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय लोकदल के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे. साल 1980 और 1984 में कांग्रेस की टिकट पर शीला कॉल ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी. 1989 में मान्धाता सिंह ने भारतीय लोकदल को लखनऊ में पहली बार जीत दिलाई थी. इसके बाद 1991 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी पर लगातार पांच बार अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से सांसद चुने गए. साल 2009 में बीजेपी के लालजी टंडन लखनऊ के सांसद बने और साल 2014 में राजनाथ सिंह यहां से जीते.
2014 में मुद्दों पर हुआ था चुनावी संग्राम
2014 के लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों ने बिजली, सीवेज की समस्याओं, भूमिगत लाइनों की समस्याओं, पानी की निकासी की व्यवस्था, सड़कों और नदियों के रखरखाव और नागरिक आदेश को बहाल करने जैसे मुद्दों पर लड़ा था. इन समस्याओं के साथ-साथ उद्योगों के विकास और वृद्धि, रोजगार सृजन, भ्रष्टाचार के मुद्दे, आर्थिक विकास में तेजी और महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी जोरों से उठाया गया था.