क्या कहता है बलूरघाट लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण, जानिए
Advertisement
trendingNow1520178

क्या कहता है बलूरघाट लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण, जानिए

अपनी अनोखी सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल की बलूरघाट लोकसभा सीट बेहद अहम है

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: अपनी अनोखी सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल की बलूरघाट लोकसभा सीट बेहद अहम है. साल 2014 के आम चुनाव में TMC की अर्पिता घोष ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उन्हें 4,09,641 वोट मिले थे. वहीं RSP उम्मीदवार बिमलेंदु 3,02,677 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे.

सन् 1952 में यह सीट अस्तित्व में आई थी. सन् 1952 से 62 तक यहां कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था. इसके बाद यहां पर सन् 1962-67 तक CPI का कब्जा रहा. सन् 1967-77 तक दोबारा यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. 1977 से 2014 तक यहां RSP का प्रभुत्व कायम रहा.

इस संसदीय क्षेत्र से जीती TMC की अर्पिता घोष की गिनती जनता के मुद्दों को आगे रखने वाले नेताओं में की जाती है. वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ की हिंसा, दीपा कर्मकार सहित तमाम खिलाड़ियों को सहूलियतें, रंगमंच कलाकारों का मानदेय बढ़ाने व सिटिजनशिप बिल को लेकर बहसों में शामिल हुई हैं.

इस क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं, जिनमें इटहर, कुशमंडी, कुमारगंज, बलूरघाट, तपन, गंगारामपुर व हरिरामपुर शामिल हैं.

Trending news