72 की उम्र में संन्यास से लौटे 'राघोगढ़ के राजा', क्या भेद पाएंगे भोपाल का चक्रव्यूह?
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72 की उम्र में संन्यास से लौटे 'राघोगढ़ के राजा', क्या भेद पाएंगे भोपाल का चक्रव्यूह?

भोपाल संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के लिए कठिन सीटों में गिना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 1989 के बाद अर्थात तीन दशकों से यहां पर कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है. 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने साल 2003 में चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया था. अब वे वापसी कर रहे हैं.

भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में कठिन सीट से चुनाव लड़ाने की मुख्यमंत्री कमलनाथ की रणनीति कारगर होती नजर आ रही है. अब कांग्रेस के अंदरखाने से आवाज उठने लगी है कि कठिन सीट सिर्फ दिग्विजय सिंह के लिए है या और भी नेता इस दायरे में आएंगे. भोपाल संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के लिए कठिन सीटों में गिना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 1989 के बाद अर्थात तीन दशकों से यहां पर कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है. लिहाजा कांग्रेस की कोशिश राज्य की उन कठिन सीटों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की है, जहां से बीते तीन या उससे ज्यादा चुनावों से कांग्रेस को लगातार हार मिल रही है. कठिन सीटों पर दमदार चेहरा उतारने की कांग्रेस ने रणनीति बनाई है. उसके संकेत भी अब मिलने लगे है.

मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार को यहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भोपाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की.

सीएम कमलनाथ ने पहले ही दिए थे संकेत
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को पत्रकारों के लिए आयोजित एक समारोह में यहां कहा, 'केंद्रीय चुनाव समिति ने तय कर लिया है कि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव लड़ेंगे. इस नाम की मैं घोषणा कर सकता हूं.' साथ ही उन्होंने कहा, 'दिग्विजय सिंह को इंदौर, जबलपुर अथवा भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था अंत में तय हुआ है कि दिग्विजय सिंह भोपाल से चुनाव लड़ेंगे.'

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ज्ञात हो कि कमलनाथ ने पिछले दिनों कहा था कि दिग्विजय सिंह को कठिन सीट से चुनाव लड़ना चाहिए लिहाजा कमलनाथ द्वारा कही गई बात पर केंद्रीय चुनाव समिति ने भी मुहर लगा दी है. यह वह संसदीय क्षेत्र है जहां लंबे अरसे से कांग्रेस को जीत नहीं मिली है.

कठिन सीटों पर दिग्गजों को उतारने की मांग
कमलनाथ से पूछा गया कि भोपाल से चुनाव लड़ाए जाने के फैसले से दिग्विजय सिंह खुश हैं क्या, तो कमलनाथ ने कहा, 'यह तो उन्हीं से पूछिए, मगर मैं तो खुश हूं.' 72 वर्षीय दिग्विजय सिंह को भोपाल से चुनाव लड़ाए जाने का ऐलान किए जाने के बाद कांग्रेस के भीतर से ही आवाज उठने लगी है कि राज्य की जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, विदिशा आदि वे सीटें हैं जहां से पार्टी को पिछले कई चुनाव से जीत नहीं मिली हैं. यह भी कठिन सीटों की श्रेणी में आती हैं, क्या यहां भी ताकतवर नेता को मैदान में उतारा जाएगा.

ज्योतिरादित्य को भी कठिन सीट देने की मांग
एक कांग्रेस नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, 'भोपाल से दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ाने का निर्णय ठीक है, मगर सवाल उठता है कि कमलनाथ को सिर्फ छिंदवाड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना से ही क्यों चुनाव लड़ाया जाता है. उनको भी कठिन सीट पर जाकर चुनाव लड़ना चाहिए. पार्टी छिंदवाड़ा और गुना की बजाए दोनों नेताओं को दूसरी सीटों से चुनाव लड़ाए तो कार्यकर्ताओं के बीच अच्छा संदेश जाएगा.'

ज्ञात हो कि दिग्विजय सिंह ने राघोगढ़ सीट से राज्य विधानसभा का अंतिम चुनाव वर्ष 2003 में लड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद उन्होंने 10 साल तक कोई चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था. उसके चलते उन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. दिग्विजय सिंह वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं. कांग्रेस के डेढ़ दशक बाद राज्य में सत्ता की वापसी हुई है और अब दिग्विजय सिंह भी चुनाव लड़ने को तैयार हुए हैं.

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बीजेपी का गढ़ है भोपाल सीट
भोपाल संसदीय क्षेत्र के अब तक के चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यह संसदीय क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन चुका है. भोपाल में वर्ष 1989 के बाद से हुए सभी आठ चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली है. यहां से सुशील चंद्र वर्मा, उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और आलोक संजर चुने जा चुके हैं. वहीं इस संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के अब तक छह सांसद चुने गए उनमें पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा प्रमुख रहे हैं. इसी तरह वर्ष 1967 में जनसंघ और वर्ष 1977 के चुनाव में लोकदल से आरिफ बेग निर्वाचित हुए थे.

राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, जिनमें से 26 पर बीजेपी का कब्जा है, तीन स्थानों पर कांग्रेस के सांसद हैं. छिंदवाड़ा से कमलनाथ, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम से कांतिलाल भूरिया सांसद हैं.

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