2008 में स्तित्व में आई बारडोली लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच होगी कड़ी टक्कर
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2008 में स्तित्व में आई बारडोली लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच होगी कड़ी टक्कर

बारडोली लोकसभा सीट पर दो बार हुए चुनाव में एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

बारडोली सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होनेवाली है. (प्रतीकात्मक फोटो)

बारडोलीः गुजरात राज्य का बारडोली जिला काफी मशहूर है. बारडोली किसान सत्याग्रह के लिए जाना जाता है. बारडोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया था. इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी थी.

बारडोली संसदीय सीट 2008 के नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें हैं. बारडोली लोकसभा सीट पर पहली बार 2009 में चुनाव हुआ था. जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. बारडोली सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है.

कांग्रेस की टिकट से तुषार अमरसिंह चौधरी ने पहली बार बारडोली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. वहीं, बीजेपी के टिकट से रितेश कुमार वासवा मैदान में उतरे थे. दोनों के बीच काफी कड़ा मुकाबला हुआ था. जिसमें कांग्रेस से तुषार अमरसिंह की जीत हुई थी. कांग्रेस करीब 60 हजार वोटों से जीत हासिल की थी.

वहीं, दूसरी बार यहां 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ. इस बार बारडोली सीट से बीजेपी की ओर से प्रभुभाई वासवा को मौका दिया गया. वहीं, कांग्रेस की ओर से फिर से तुषार अमरसिंह चौधरी को ही टिकट दिया गया था. लेकिन 2014 में मोदी लहर में कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई और बीजेपी ने जीत हासिल की.

बारडोली सीट पर बीजेपी ने 2014 में भारी अंतर जीत हासिल की थी. प्रभुभाई वासवा ने तुषार अमरसिंह को करीब सवा लाख वोटों से हराया था.

अब 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होगी. देखना होगा कि क्या कांग्रेस फिर तुषार अमरसिंह को मौका देगी या नहीं. वहीं, बीजेपी से प्रभुभाई को मौका मिलता है या नहीं.

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