करनाल राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण सीट है. हरियाणा के पूर्व सीएम भजनलाल भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार मिली थी.
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करनाल: ग्रीन लैंड के नाम से मशहूर हरियाणा भले अब पंजाब का हिस्सा नहीं है ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रान्त का एक भाग रहा है और इसके इतिहास में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य के दक्षिण में राजस्थान और पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और उत्तर में पंजाब की सीमा और पूर्व में दिल्ली क्षेत्र है. हरियाणा और पड़ोसी राज्य पंजाब की भी राजधानी चंडीगढ़ ही है. इस राज्य की स्थापना 1 नवम्बर 1966 को हुई. क्षेत्रफल के हिसाब से इसे भारत का 20 वां सबसे बड़ा राज्य बनाता है.
बात अगर लोकसभा चुनाव के लिहाज से करनाल लोकसभा सीट की करें तो करनाल राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण सीट है. हरियाणा के पूर्व सीएम भजनलाल भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार मिली थी. वहीं, बीजेपी की वरिष्ठ और कद्दावर नेता सुषमा स्वराज भी करनाल से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं और उन्हें भी दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा था.
2014 में करनाल से बीजेपी के अश्विनी कुमार ने शानदार तरीके से जीत हासिल की थी. अश्विनी कुमार ने यहां से दो बार लगातार कांग्रेस से सांसद रहे डॉ. अरविंद कुमार को तीन लाख से भी अधिक वोटों से हराया. करनाल सीट के रिकॉर्ड की बात करें तो यहां से कांग्रेस ने अब तक 9 बार और बीजेपी ने कुल मिलाकर तीन बार जीत हासिल की है.
इस बार करनाल से बीजेपी ने संजय भाटिया पर भरोसा किया है तो वहीं कांग्रेस ने कुलदीप शर्मा को मैदान में उतारा है. जेजेपी और आप गठबंधन ने कृष्णन अग्रवाल को यहां से टिकट दिया है तो वहीं, आईएनएलडी ने धर्मवीर पाढ़ा को उम्मीदवार बनाया है.
करनाल के रण में बहरहाल जीत किसकी होती है यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि सभी पार्टियों ने चुनाव के लिए अपनी ताकत पूरी तरह से झोंक दी है. लोकतंत्र के इस महापर्व में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है और 23 मई को जनता का फैसला लोगों के सामने होगा.