वायनाड सीट से कभी नहीं हारी कांग्रेस, लेकिन इस बार पार्टी के सामने है ये चुनौती
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वायनाड सीट से कभी नहीं हारी कांग्रेस, लेकिन इस बार पार्टी के सामने है ये चुनौती

केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर पहली बार 2009 में संसदीय चुनाव हुए थे. इन चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी, इसके बाद 2014 के चुनावों में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 

वायनाड सीट से कभी नहीं हारी कांग्रेस, लेकिन इस बार पार्टी के सामने है ये चुनौती

नई दिल्ली : इन लोकसभा चुनावों में काफी सुर्खियां बंटोरने वाली केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हमेशा से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2009 से इस सीट पर कांग्रेस के एमआई शानवास सांसद रहे हैं. 

वायनाड जिले की आबादी 8.18 लाख है जिनमें से 4.01 लाख पुरुष और 4.15 महिलाएं है. इस जिले की साक्षरता दर 89.03 प्रतिशत है. वायनाड में 49.48% हिंदू, 28.65% जनसंख्या मुस्लिम और ईसाई समुदाय की आबादी 21.34% है.  केरल में कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन का नाम है यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ). जबकि दूसरी तरफ वामपथी दलों का गठबंधन का नाम है लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ).

2009 में हुए थे पहले चुनाव
केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर पहली बार 2009 में संसदीय चुनाव हुए थे. इन चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी, इसके बाद 2014 के चुनावों में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इन चुनावों की हाई प्रोफाइल सीट में शामिल वायनाड लोकसभा सीट पर वक्त के साथ छत्रपों ने कांग्रेस की जमीन पर कब्जा कर लिया. वायनाड और मल्लपुरम इलाके में कांग्रेस और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की मजबूत पकड़ मानी जाती है. ऐसे में राहुल दक्षिण के सियासी रण में खुद उतरकर अपनी सियासी जमीन को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं.

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