नेहरू और इंदिरा के बाद मोदी ने रचा नया इतिहास, पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी
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नेहरू और इंदिरा के बाद मोदी ने रचा नया इतिहास, पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी

पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. नेहरू और इंदिरा के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं.

नरेंद्र मोदी 2014 में 282 सीटों पर जीत के साथ अपना पहला आम चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीतने में सफल रहे.

नई दिल्ली: पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. नेहरू और इंदिरा के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं. आज गुरुवार को देशभर में लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना अभी जारी है और अभी तक मिले रुझान बता रहे हैं कि मोदी की कमान में भगवा पार्टी 17वीं लोकसभा में पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 272 के आंकड़े तक आसानी से पहुंच जाएगी. 2014 में हुए आम चुनाव में बीजेपी ने लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 282 सीटों पर जीत हासिल की थी. 

देश में आजादी के बाद 1951 .52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू करीब तीन चौथाई सीटें जीते थे . इसके बाद 1957 और 1962 में हुए आम चुनाव में भी उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी. चूंकि देश में आजादी के बाद 1951में पहली बार आम चुनाव हुए थे तो इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब पांच महीने का समय लगा था. 

हालांकि ये वो दौर था जब कांग्रेस की अजेय छवि थी और भारतीय जनसंघ, किसान मजदूर प्रजा पार्टी और अनुसूचित जाति महासंघ और सोशलिस्ट पार्टी जैसे दलों ने आकार लेना शुरू कर दिया था. 1951-52 चुनाव में कांग्रेस ने 489 सीटों में से 364 सीटों पर जीत हासिल की थी और उस समय पार्टी के पक्ष में करीब 45 फीसदी मत पड़े थे. अब अगर बात 1957 की करें तो नेहरू फिर से चुनाव मैदान में थे . देश एक कठिन दौर से गुजर रहा था क्योंकि प्रधानमंत्री नेहरू को 1955 में हिंदू विवाह कानून पास होने के बाद पार्टी के भीतर और बाहर दक्षिणपंथी विचारधारा से लड़ना पड़ रहा था. 

देश में विभिन्न भाषाओं को लेकर भी एक विवाद छिड़ा हुआ था. इसका परिणाम यह हुआ कि 1953 में राज्य पुनर्गठन समिति के गठन के बाद भाषायी आधार पर कई राज्यों का गठन किया गया. खाद्य असुरक्षा को लेकर भी देश में अलग बवाल मचा हुआ था. लेकिन इन सारे विपरीत हालात के बावजूद नेहरू ने 1957 के चुनाव में 371 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की . कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी भी 1951-52 में 45 फीसदी से बढ़कर 47.78 फीसदी हो गई. 1962 के आम चुनाव में भी नेहरू ने लोकसभा की कुल 494 सीटों में से 361 सीटों पर शानदार विजय हासिल की. 

 

आजाद भारत के 20 साल के राजनीतिक इतिहास में आखिरकार कांग्रेस पार्टी का जलवा बेरंग होना शुरू हुआ और वह छह राज्यों में विधानसभा चुनाव हार गई. इन छह राज्यों में से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सबसे पहले हारी थी. लेकिन 1967 में नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी लोकसभा की कुल 520 सीटों में से 283 सीटें जीतने में कामयाब रहीं. आम चुनाव में इंदिरा गांधी की यह पहली जीत थी. 1969 में इंदिरा ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया जिसे कांग्रेस (ओ) के नाम से जाना गया जिसकी कमान मोरारजी देसाई संभाल रहे थे. इसी दौर में इंदिरा गांधी ने 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया जिसने भारतीय मतदाताओं के एक बड़े हिस्से पर असर किया. इसी का नतीजा रहा कि इंदिरा गांधी 1971 के आम चुनाव में 352 सीटें जीत गईं.

अब 2010 और 2014 के दौर की बात करें जब यूपीए सरकार विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही थी. इसी दौरान बीजेपी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 के आम चुनाव में अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित कर दिया. देशभर में विकास के वादे के साथ नरेंद्र मोदी 2014 में 282 सीटों पर जीत के साथ अपना पहला आम चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीतने में सफल रहे.

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