यूपी में जिस उम्मीद के साथ कांग्रेस प्रियंका को कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा था. प्रियंका का वह जादू चल न सका.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के नतीजे अब लगभग साफ हो चुके हैं. यूपी में जिस उम्मीद के साथ कांग्रेस प्रियंका को कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा था. प्रियंका का वह जादू चल न सका. एग्जिट पोल्स के आंकड़े रुझानों में बदले और अब नतीजे लगभग तय हैं. कांग्रेस की हार को लेकर यूपी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी और बीजेपी कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई दी है.
Congress General Secretary for UP east, Priyanka Gandhi Vadra: We accept people's verdict and congratulate PM Modi and BJP workers. #ElectionResults2019 pic.twitter.com/dMuzXTQ8u1
— ANI (@ANI) May 23, 2019
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, 'हम अपनी हार का स्वीकारते हैं. इस जीत के लिए पीएम मोदी आर बीजेपी कार्यकर्ताओं को बधाई देती हूं'.
लंबे समय की अटकलों के बाद इस साल जनवरी में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि इस लोकसभा चुनाव में उनका जादू चलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और प्रियंका का सियासी आगाज बेअसर साबित हुआ. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका को कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया और उन्हें राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य में कांग्रेस में नई जान फूंकने की जिम्मेदारी दी गई.
प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में कई जनसभाएं और रोडशो किए. उन्होंने राज्य से बाहर भी पार्टी के लिए पूरी ताकत झोंकी, लेकिन ऐसा लगता है कि जनता के बीच उनका वो करिश्मा नहीं चल पाया, जिसकी उम्मीद राहुल गांधी ने उनसे की थी. चुनाव के दौरान उनके वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की अटकलें चलीं, हालांकि बाद में पार्टी ने अजय राय को टिकट देकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया.
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री को सीधे निशाने पर लिया, हालांकि वह अखिलेश यादव और मायावती पर सीधी टिप्पणी करने से बचती रहीं. लंबे समय तक सियासी गलियारों में इस पर चर्चा होती रही कि आखिर प्रियंका सक्रिय राजनीति में कब कदम रखेंगी और कब पार्टी में बड़ी भूमिका निभाएंगी. उनके भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनवरी महीने में बड़ा सियासी दांव खेलते हुए लोकसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले प्रियंका को कांग्रेस महासचिव और प्रभारी (उत्तर प्रदेश-पूर्व) नियुक्त किया और इसी के साथ सक्रिय राजनीति में प्रियंका के सफर का आगाज हो गया.
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अभी तक 47 साल की प्रियंका खुद को कांग्रेस की गतिविधियों से अलग रखते हुए अपने परिवार के लिए काम करती रही थीं. उनका दायरा विशेष तौर पर मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्रों रायबरेली एवं अमेठी तक सीमित रहा था. 12 जनवरी, 1972 को जन्मीं प्रियंका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है और अपनी राजनीतिक गतिविधि की शुरूआत 1998 में मां सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद की.
1999 के आम चुनाव में सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी सीट से एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ीं. इस दौरान प्रियंका ने अमेठी के प्रचार की कमान संभाली. सोनिया ने 2004 में अमेठी की सीट पुत्र राहुल गांधी के लिए छोड़ी और खुद रायबरेली चली गईं. इसके बाद प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी दोनों क्षेत्रों में प्रचार की जिम्मेदारी संभाली.