इस्‍तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को पहले समय दिया, बाद में मिलने से इनकार किया
Advertisement
trendingNow1531879

इस्‍तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को पहले समय दिया, बाद में मिलने से इनकार किया

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के बदले परिवार को महत्व देने वाले पार्टी नेताओं पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यहां मिलने से इनकार कर दिया.

इस्‍तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को पहले समय दिया, बाद में मिलने से इनकार किया

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के बदले परिवार को महत्व देने वाले पार्टी नेताओं पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यहां मिलने से इनकार कर दिया. पार्टी सूत्रों के अनुसार, गांधी ने अपने आवास पर सोमवार सुबह 11 बजे गहलोत से मिलने का समय दिया था.

एक सूत्र ने कहा, "लेकिन उन्होंने उनसे मिलने से इनकार कर दिया और कहा कि वह महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मिलें." सूत्रों ने कहा कि गहलोत ने उसके बाद वेणुगोपाल और पार्टी नेता अहमद पटेल से मुलाकात की. कांग्रेस अध्यक्ष की यह बेरुखी ऐसे समय में सामने आई है, जब दो दिनों पहले राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं बख्शा था.

राहुल को मनाने से लेकर गांधी परिवार से अलग कौन होगा अध्यक्ष?कांग्रेस करेगी मंथन

कांग्रेस कुल 52 सीटें जीत पाई और राजस्थान में वह एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि मध्य प्रदेश में मात्र एक सीट जीतने में कामयाब हुई. सूत्रों के अनुसार गांधी ने कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कमलनाथ अपने बेटों के टिकट के लिए उत्सुक थे, जबकि पार्टी अध्यक्ष उन्हें टिकट नहीं देना चाहते थे. राहुल चाहते थे कि ये नेता प्रचार अभियान में बड़ी भूमिका निभाएं.

कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव जीत गए, लेकिन गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से चुनाव हार गए. राहुल गांधी ने बार-बार कहा कि अशोक गहलोत ने एक सप्ताह तक सिर्फ जोधपुर में प्रचार किया, और इस दौरान उन्होंने पार्टी का कोई काम नहीं किया.

राजस्थान के कई मंत्रियों-विधायकों ने की जवाबदेही तय करने की मांग
इस बीच लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर नाराजगी जताए जाने के बाद प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों एवं विधायकों ने मांग की है कि इस चुनावी शिकस्त के लिए जवाबदेही तय करने के साथ कार्रवाई होनी चाहिए.

सूत्रों के मुताबिक गांधी ने 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन नेताओं ने पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिया और उन्हीं को जिताने में लगे रहे. दरअसल, गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़े थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. खबरों के मुताबिक गहलोत जोधपुर में अपने पुत्र के पक्ष में प्रचार के लिए कई दिनों तक डंटे रहे. राज्य की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

दूसरी तरफ, गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि गांधी की बात को संदर्भ से अलग करके पेश किया गया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संगठन या पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी फैसला करने के लिए अधिकृत हैं. गहलोत ने कहा, ‘‘सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी जी को अधिकृत किया है कि वह पार्टी के हित में फैसले करें, चाहे वह संगठन में सभी स्तर पर बदलाव हो या फिर पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव हो. उन्हें अधिकृत किया गया है कि वह पार्टी और देश के हित में फैसले करें. मैं आशा करता हूं कि फैसला जल्द किया जाएगा.’’

दरअसल, राजस्थान सरकार के कई मंत्रियों ने चुनाव में जवाबदेही तय करने और कार्रवाई की मांग की है. राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने संगठन में बदलाव के लिए राहुल गांधी को अधिकृत किया है और वह बदलाव करेंगे.

कुछ नेताओं द्वारा पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिए जाने पर गांधी की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर खाचरियावास ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. उनसे ऊपर कोई नहीं है और उन्होंने पूरा सोच-समझकर यह कहा होगा. कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता उनके शब्दों का सम्मान करते हैं. मुझे भी इस बारे में मीडिया के जरिए पता चला है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर राहुल गांधी जी वरिष्ठ नेताओं की कमी पाते हैं तो उनका पूरा अधिकार है कि वह जवाबदेही तय करें और कार्रवाई करें.’’

राजस्थान सरकार के एक और मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने भी कहा कि पार्टी की हार के लिए तत्काल जवाबदेही तय होनी चाहिए. इससे पहले राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदयलाल अंजना और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पार्टी को हार का विस्तृत आकलन करके राज्य में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव के लिये पार्टी को फिर से मजबूती के साथ तैयार करना चाहिए.

अंजना ने सोमवार को जयपुर में संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा चुनावों के परिणाम आशाओं के विपरीत थे. भाजपा द्वारा उठाए गए राष्ट्रवाद के मुद्दे से मतदाताओं को प्रभावित किया गया था. हमारे नेताओं ने भी पूरे प्रयास किए लेकिन यह लोगों को स्वीकार्य नहीं था. मीणा ने कहा कि कि इस समय पार्टी के उम्मीदवारों, वर्तमान और पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पदाधिकारियों से विस्तृत समीक्षा कर फीडबैक लिया जाना चाहिए.

उधर, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के त्यागपत्र देने पर कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. रविवार को एक कथित प्रेस विज्ञप्ति में कटारिया ने कहा कि वह राज्य के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे है. रविवार से आज तक कटारिया से संपर्क नहीं किया जा सका है. मुख्यमंत्री कार्यालय और राजभवन से त्यागपत्र के बारे में किसी प्रकार की पुष्टि नहीं हो सकी है.

नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कई विधायकों ने कहा कि जवाबदेही तय करना प्राथमिकता होनी चाहिए. हनुमानगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सी बिश्नोई ने चुनावी हार के लिए गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘संगठन ने कड़ी मेहनत की और पार्टी को राज्य की सत्ता में वापस लेकर आए. परंतु तीन महीनों के भीतर लोग सरकार से नाराज हो गए. मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होनी चाहिए. उन्हें इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए.’’

(इनपुट: एजेंसियां)

Trending news