मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने खुद आंकड़ों की हकीकत को बयां करते हुए ये मानते हैं कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतदान के पहले कैश जप्त किया जा रहा है.
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भोपालः मध्य प्रदेश में चुनावों में काले धन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है. चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का अधिकारी कालेधन के इस्तेमाल पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं. जांच एजेंसियों की तमाम सख्तियों को बहाना बताते हुए चुनावी कामकाज में जुटे अफसरों के लिए भी कालेधन का इस्तेमाल एक चुनौती बन चुका है. विधानसभा के बाद अब मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भी कालेधन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है. चुनाव आयोग की गाइडलाइन पर आधारित चैकिंग में रोजाना ना सिर्फ बड़े पैमाने पर नगदी की जप्ती हो रही है बल्कि बड़े पैमाने पर शराब भी पकड़ी जा रही है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने साफ स्वच्छ चुनाव कराने की जरूर दलील दी है, लेकिन वे खुद आंकड़ों की हकीकत को बयां करते हुए ये मानते हैं कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतदान के पहले कैश जप्त किया जा रहा है. इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस बीजेपी एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं.
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लोकसभा चुनाव काला धन
2019 के लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लगने के महज 20 दिन के अंदर करोड़ों रुपये जप्त हो चुके हैं. खुद चुनाव आयोग भी हैरान है कि प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर कैश आ कहां से रहा है. वहीं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव भी मानते हैं कि ये रकम अभी तक पिछले सारे रिकॉर्ड तोड चुकी है और आगे ये आंकड़ा प्रदेश में कालेधन की जप्ती की सबसे बडी कार्रवाई के रुप में स्थापित होगा.
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2014 के लोकसभा चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल
2014 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में 14 करोड़ रुपये का कालाधन जब्त किया गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के महज 20 दिनों में 14 करोड़ 32 लाख की नकदी बरामद की जा चुकी है.
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विधानसभा चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी धन बल का जमकर इस्तेमाल हुआ, तब के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने भी माना था कि मध्य प्रदेश में कालेधन का इस्तेमाल चुनावों को प्रभावित करने के लिए हो रहा है और बड़े पैमाने पर कैश बरामद किया जा रहा है. 2013 के चुनाव में 19 करोड़ रुपए का कालाधन पकड़ा गया था. 2018 के चुनाव में 65 करोड़ जब्त हुए.