लोकसभा चुनाव 2019 का सबसे बड़ा रण उत्तर प्रदेश में हो रहा है. सभी की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई हैं.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का सबसे बड़ा रण उत्तर प्रदेश में हो रहा है. सभी की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई हैं. हर किसी के मन में एक ही सवाल उभर रहा है क्या महागठबंधन इस बार बीजेपी का रथ रोक पाएगा? अगर रोक पाएगा तो कितनी सीटें महागठबंधन को मिलेंगी, कितनी बीजेपी को. एक सवाल यह भी है कि क्या मोदी और योगी जादू के आगे महागठबंधन टिक पाएगा? इन सभी सवालों के जवाब पर जल्दी ही तस्वीर एग्जिट पोल में साफ हो सकती है जब एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने आएंगे.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं जिसमें बीजेपी और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है. कहते हैं केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-अपन दल गठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए 74 सीटों पर जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी के खाते में सिर्फ 5 सीटें आई थीं. बसपा को तो खाता भी नहीं खुल पाया था. राष्ट्रीय लोकदल का भी खाता नहीं खुल पाया था. अजीत सिंह, उनके बेटे जयंत चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से सबक लेकर सपा-बसपा और आरएलडी ने मिलकर गठबंधन किया है.
कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद
उत्तर प्रदेश में बीजेपी और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद है. हालांकि एक्जिट पोल के नतीजे सामने आने के बाद तस्वीर साफ होने लगेगी. बीजेपी 78 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दो सीटों पर उसकी सहयोगी अपना दल (एस) मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज से चुनाव मैदान में है. उधर, बसपा 38, सपा 37 जबकि राष्ट्रीय लोकदल 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस गठबंधन से बाहर है. उत्तर प्रदेश की हॉट सीट अमेठी पर भी सबकी नजर है. जहां से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. 2014 में स्मृति को हार का सामना करना पड़ा था.