जन लोकपाल पर गोविंदाचार्य ने केजरीवाल का समर्थन किया
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जन लोकपाल पर गोविंदाचार्य ने केजरीवाल का समर्थन किया

जन लोकपाल विधेयक पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के रुख का समर्थन करते हुए जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने रविवार को कहा कि जो लोग इन्हें आराजक कह रहें हैं, वे नैतिक राजनीति के बढ़ने से अपने आप को खतरे में पा रहे हैं।

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नई दिल्ली : जन लोकपाल विधेयक पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के रुख का समर्थन करते हुए जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने रविवार को कहा कि जो लोग इन्हें आराजक कह रहें हैं, वे नैतिक राजनीति के बढ़ने से अपने आप को खतरे में पा रहे हैं।
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘मेरी जानकारी में नैतिक एवं मूल्यों पर आधारित राजनीति को आगे बढ़ाने का प्रयास करने वाले संगठन, लोकसत्ता, आम आदमी पार्टी, नवभारत पार्टी आपस में संवाद और सहयोग की स्थिति में पहुंच रहे हैं। बहुत सी जगह इनमें संवाद आपने आप ही हो रहा है।’ जन लोकपाल विधेयक पर दिल्ली की आप सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (केजरीवाल) ठीक किया है। नैतिकता पर आधारित वैकल्पिक राजनीति वक्त की जरूरत है। जो लोग उन्हें ‘अराजक’ कह रहे हैं, ऐसा कहने वाले लोग संविधान के नाम पर स्वाथरे की दादागिरी जनता पर थोप रहे हैं। ऐसे लोग धनबल एवं थलीशाही के मातहत दलों के दिशाहीन एवं अवसरवादी आधिपत्य को संरक्षण दे रहे हैं।’
गोविंदाचार्य ने कहा कि अधिकांश संगठनों में आंतरिक लोकतंत्र नदारद है जहां पर व्यक्तियों एवं गुटों की संगठनात्मक तानाशाही चल रही हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि नैतिक राजनीति के उभार से ऐसे अलोकतांत्रिक, भ्रष्ट एवं संवादविहीन गिरोह अपने को खतरे में पा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दलों का सामाजिक उद्देश्य और जवाबदेही भुला दी गई है और सत्ता प्राप्ति के लिए शोशेबाजी और जुमलेबाजी को ही राजनीतिक कौशल का नाम दिया जा रहा है।
आरएसएस के प्रचारक ने कहा कि आर्ट आफ लिविंग, लोकसत्ता पार्टी, नव भारत पार्टी, अन्ना हजारे, आम आदमी पार्टी, भारत स्वाभिमान आंदोलन, पी वी राजगोपाल के नेतृत्व में एकता परिषद सरीखे 20 से अधिक संगठन और समूह नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति के लिए अपने अपने आग्रहों और कार्यो को लेकर सही नीयत से जूझ रहे हैं।
गोविंदाचार्य ने सुझाव दिया, ‘इन सभी ताकतों को एक दूसरे का प्रतिद्वन्द्वी और प्रतिस्पर्धी नहीं मानना चाहिए बल्कि पूरक और सम्पूरक बनना चाहिए। यही वक्त का तकाजा है।’ (एजेंसी)

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