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नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर भले ही उपराज्यपाल नजीब जंग से मतभेद रखते प्रतीत होते हों, लेकिन उनकी प्रशंसा करते समय वह भावुक हो गए और कहा कि आप नेताओं को अपनी नाराजगी के बावजूद अपनी भाषा को लेकर सतर्क रहना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि जंग के साथ उनके संबंधों में कोई दरार नहीं है। उन्होंने उनके साथ अच्छे समीकरण जारी रहने की उम्मीद जताई तथा कहा कि उपराज्यपाल एक नेक व्यक्ति हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, कोई दरार नहीं है। वह (जंग) बहुत बहुत अच्छे व्यक्ति हैं और विशेषकर कि उनका मेरे से काफी स्नेह है। इसलिए कोई दरार नहीं है। उनके साथ मेरे काफी अच्छे संबंध हैं। मेरा मानना है कि वह बहुत नेक व्यक्ति हैं और उनके साथ मेरे संबंध हमेशा अच्छे रहेंगे।
केजरीवाल की ये टिप्पणियां उनके द्वारा जंग को कड़े शब्दों में भेजे गए पत्र के दो दिन बाद आई हैं । पत्र में उन्होंने जंग से कहा था कि वह संविधान की रक्षा करें, न कि कांग्रेस और गृह मंत्रालय के हितों की । उन्होंने कहा था कि वे उनकी सरकार के जनलोकपाल विधेयक को रूकवाना चाहते हैं । पत्र इन खबरों के एक दिन बाद आया कि उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार के जनलोकपाल विधेयक पर सॉलिसिटर जनरल मोहन पारासरन की राय मांगी थी।
आप नेता आशुतोष द्वारा जंग को ‘कांग्रेस एजेंट’ बताए जाने के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने इसे खारिज किया और कहा कि पार्टी नेताओं को अपने शब्दों के बारे में सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि हमें अपने शब्दों के बारे में सतर्क रहना चाहिए। हमारे कुछ पार्टी नेताओं के मन में नाराजगी हो सकती है, लेकिन हमारी नाराजगी की चाहे जो भी तीव्रता हो, हमें अपने शब्दों का ध्यान रखना चाहिए। हालांकि, उन्होंने उपराज्यपाल कार्यालय से कुछ महत्वपूर्ण संचार लीक होने पर नाराजगी जताई। केजरीवाल ने कहा, मुझे नहीं पता कि यह कौन कर रहा है। हो सकता है कि उनके (जंग) कार्यालय में कुछ लोग शरारत कर रहे हों।
केजरीवाल ने लीक हुई चीजों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को हटाने की सिफारिश करने वाली फाइल भेजी तो एक टीवी चैनल ने यह दिखाना शुरू कर दिया कि उपराज्यपाल सिफारिश को खारिज करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, मेरे कार्यालय ने तुरंत उनके कार्यालय से संपर्क किया। उनके कार्यालय ने कहा कि उपराज्यपाल ने ऐसा कुछ नहीं लिखा है। यह मीडिया की कयासबाजी है। अगले दिन जब फाइल मेरे पास आई तो उसमें वही चीजें थीं जो मीडिया कह रहा था।
मुख्यमंत्री ने मुद्दे को गंभीर करार दिया और कहा कि ‘यह एक संवैधानिक संकट है।’ उन्होंने कहा, कुछ लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार उपराज्यपाल के जरिए राजनीति कर रही है। उसके बाद मेरे मकान का मुद्दा आया कि अरविन्द केजरीवाल ने खुद इसके लिए कहा था। यहां तक कि वहां (उपराज्यपाल कार्यालय) से पत्र तक लीक हो गया। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अपने पत्र में कठोर भाषा का इस्तेमाल क्यों किया, केजरीवाल ने कहा, ‘मैंने नरम रहने (भाषा) की कोशिश की थी। भविष्य में मैं सतर्क रहूंगा। संदेश जाना चाहिए, लेकिन यह बहुत नम्र भाषा में जाना चाहिए। अपने पत्र के सदंर्भ की व्याख्या देते हुए केजरीवाल ने कहा कि वह जनलोकपाल के मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से उपराज्यपाल से मिलकर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन बैठक से पहले सॉलिसिटर जनरल की राय लीक हो गई।
केजरीवाल ने कहा, मैं उन्हें बताना चाहता था कि हमने पांच लोगों की राय ली है, मंत्रिमंडल ने फैसला किया है, उन्हें घटनाक्रमों से अवगत कराना और बताना चाहता था। उन्होंने कहा, उससे पहले ही खबर आ गई कि सॉलिसिटर जनरल की राय ली गई थी और यह :गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना विधेयक पेश करना: असंवैधानिक है तथा जिस तरह प्रक्रिया की जा रही है, वह भी असंवैधानिक है। तब मैंने सोचा कि यह ठीक नहीं है। (एजेंसी)