नीतीश-तेजस्वी में पोस्टर वार, भाजपा ने किया दरकिनार

बिहार की राजनीति में सियासत कब गरमा जाए, किसी को खबर नहीं होती. अब एक बार फिर बवाल खड़ा हुआ है. और यह बवाल पोस्टर वार के नाम से मशहूर होता जा रहा है. क्या है पोस्टर वार की राजनीति के पीछे का पूरा खेल, आइए जानते हैं. 

Written by - Satyam Dubey | Last Updated : Dec 19, 2019, 07:23 PM IST
    • 15 साल भय बनाम 15 साल भरोसे की लड़ाई
    • संजय सिंह ने समझाई पोस्टर की बारीकियां
    • राजद ने कहा महिलाओं को नहीं बचा पा रही है नीतीश सरकार
    • कांग्रेस ने कहा कबूतर गिद्ध नहीं बाज की तरह हो गई है नीतीश सरकार
    • भाजपा बस बैठे-बैठे देख रही है तमाशा
नीतीश-तेजस्वी में पोस्टर वार, भाजपा ने किया दरकिनार

पटना: बिहार में पोस्टर वार का खेल राजनीतिक पार्टियों के बीच तेजी से पैठ बना रहा है. इस खेल के वैसे तो मुख्य रूप से दो ही खिलाड़ी हैं. एनडीए और महागठबंधन. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही गठबंधन में घटक दल पूरी तरीके से इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं. राजधानी पटना में मंगलवार को एक पोस्टर लगाय गया. उस पोस्टर में कुछ ऐसा था जिससे जदयू बुरा मान गई. और इसका पलटवार किया. कैसे तो पोस्टर के जरिए ही. 

15 साल भय बनाम 15 साल भरोसे की लड़ाई

दरअसल, राजद ने सबसे पहले एक पोस्टर लगाया जिसमें बिहार की बदहाल स्थिति को दिखाया गया और लापता बताया गया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को.

सत्ताधारी पार्टी कहां पैसे कम थे, उन्होंने भी बड़े-बड़े पोस्टर बनवाए जिसमें एक तरफ बदहवास बिहार की तस्वीर जो 90 के दशक और जंगलराज को दिखाती थी और दूसरी तरफ सुशासन बाबू के विकसित होते राज्य की और इस पोस्टर को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा गया- 15 साल बनाम 15 साल. जिसका मतलब राजद की सरकार के पंद्रह साल और दूसरी तरफ एनडीए की सरकार के 15 साल. 

दिलचस्प बात यह है कि पोस्टर में राजद के पंद्रह साल के लिए उसी गिद्ध का प्रयोग किया गया जिनकी संख्या अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है. वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कुमार के लिए कबूतर का प्रयोग किया गया जो शांति का सूचक होता है. नीचे जो कैप्शन लिखा था वह तो और भी दमदार था. लिखा गया - भय बनाम भरोसा. 

संजय सिंह ने समझाई पोस्टर की बारीकियां 

जब पोस्टर की बारी जब खत्म होने लगी तो जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने पोस्टर का बखान करना शुरू किया. उन्होंने लिखा 15 साल तक राजद के दंपत्तियों का शासन रहा. उस शासन को गिद्ध के रूप में दर्शाया गया जिसका मतलब है भय.

वहीं 15 साल विकास और शांति स्थापित करने वाली सरकार रही जिसे कहा गया भरोसा. संजय सिंह आगे कहते हैं कि यह जान लीजिए कि गिद्ध जहां बैठ जाता है, वहां का सबकुछ उजड़ जाता है. 

राजद ने कहा महिलाओं को नहीं बचा पा रही है नीतीश सरकार

अब बारी थी राजद की. राजद की तरफ से सूरमा थे उनके विधायक भाई विरेंद्र जिन्होंने कहा जदयू पोस्टर के जरिए कब तक भागती रहेगी. जनता समझती है कि भय वाली सरकार किसकी है. जल्द ही उस सरकार का तख्तापलट किया जाएगा.

अब भाई विरेंद्र क्योंकि विपक्ष में थे तो उनके पास आलोचना के कई बिंदु थे. उन्होंने हवाला दिया कि ऐसी सरकार नहीं चाहिए जहां लड़कियों को दिनदहाड़े जला दिया जाता है, इज्जत लूट ली जाती है और सरकार मूक दर्शक बने हाथ पर हाथ रखे बैठी रहती है. 

कांग्रेस ने कहा कबूतर गिद्ध नहीं बाज की तरह हो गई है नीतीश सरकार

महागठबंधन में एक और भी पार्टी है जो आलोचनाएं खूब करती है. वह और कोई नहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस है. कांग्रेस के सदानंद सिंह ने कहा कि कबूतर और गिद्ध की बात अब बहुत पुरानी हो गई है. अब तो बात बाज की है जिसका मतलब वह यह कहना चाह रहे थे कि हर ओर लूट मची हुई है.

उन्होंने और अच्छे से अपने बयान को समझाते हु्ए कहा कि नीतीश सरकार का पहला कार्यकाल कबूतर वाला था लेकिन अब तो स्थिति बाज वाली हो गई है. 

भाजपा बस बैठे-बैठे देख रही है तमाशा

इनसब के बाद इसमें देखने वाली बात यह है कि महागठबंधन की तमाम पार्टियां सम्मिलित हो कर आलोचनाएं करती रही लेकिन इस आरोप-प्रत्यारोप के खेल से जदयू की सहयोगी दल भाजपा ने जितना हो सका दूरी बनाए रखा. न तो राजद ने ही भाजपा का सीधे नाम लेकर कुछ कहा और न भाजपा ने ही इस पोस्टर में अपनी छवि देखी.

फिर बात विरोध की तो उठती ही नहीं थी. अभी तक की स्थितियां कुछ यूं हैं कि जदयू एक तरफा रूप से आलोचनाओं का जवाब देती फिर रही है जो महागठबंधन उसपर मढ़ते जा रही है और भाजपा मूक दर्शक बने तू-तू-मैं-मैं का खेल देख रही है.

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