नई दिल्ली. इन्डियन फॉरेन सर्विस के अधिकारी हैं टीएस तिरुमूर्ति जो पैंतीस साल पहले आये थे भारतीय प्रशासनिक सेवा में. आज तिरुमूर्ति यूनाइटेड नेशन्स में भारत का चेहरा बनने जा रहे हैं क्योंकि यूएन में अब तक भारत के प्रतिनिधि अकबरुद्दीन को अब सेवामुक्त किया जा रहा है.
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं तिरुमूर्ति
टीएस तिरुमूर्ति भारत के उन कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों में एक हैं जिन्होंने इन्डियन फॉरेन सर्विसेज़ में एक अच्छा ट्रैक रिकार्ड अपने नाम किया है. वर्ष 1985 के बैच के आईएफएस अधिकारी तिरुमूर्ति को अब एक बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है और अब वे यूनाइटेड नेशन्स में भारत का चेहरा बनेंगे. अब तक भारत के प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरुद्दीन का कार्यकाल ठीक-ठाक ही रहा किन्तु अब तिरुमूर्ति से बहुत सारी उम्मीदें हैं.
बनाये गये यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि
भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी टीएस तिरुमूर्ति अभी तक विदेश मंत्रालय में सचिव का दायित्व निर्वहन कर रहे थे. अब न्यूयॉर्क में वे संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किये गये हैं. उनसे पहले संयुक्त राष्ट्र में देश के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरूद्दीन को भारतीय विदेश मंत्रालय ने वक्तव्य जारी करके इस संबन्ध में सूचना दे दी है.
एक विचारक व लेखक भी हैं तिरुमूर्ति
चेन्नई में जन्मे सत्तावन वर्षीय टीएस तिरुमूर्ति कार्यालय में तो भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) की जिम्मेदारी निभाते हैं किन्तु घर पर वे एक विचारक और लेखक की भूमिका में होते हैं. उनकी लिखी तीन किताबें भी प्रकाशित हुई हैं. उनकी पत्नी गौरी तिरुमूर्ति सेवानिवृत्त टेनिस खिलाड़ी रामनाथन कृष्णन की बेटी हैं, उनकी बेटी भवानी तिरुमूर्ति भी एक टेनिस खिलाड़ी हैं. तिरुमूर्ति कॉमर्स ग्रेजुएट हैं और उन्होंने एलएलबी भी किया है.
नौ देशों में दे चुके हैं भारत को प्रतिनिधित्व
टीएस तिरुमूर्ति अपने पैंतीस वर्ष के अब तक के कार्यकाल में काहिरा, जिनेवा, गाजा, वॉशिंगटन डी.सी. और जकार्ता में भारतीय राजनयिक मिशनों में अपनी सेवायें देश को दे चुके हैं. वे विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली में भारत सरकार के अवर सचिव (भूटान), निदेशक (विदेश सचिव कार्यालय), संयुक्त सचिव (बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव) रहे हैं इसके अतिरिक्त उनको संयुक्त सचिव (संयुक्त राष्ट्र) की जिम्मेदारी भी दी गई थी.
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