इरफान ने कहा था - अम्मा मुझे लेने आई हैं !

परदे के इस पार भी मस्तमौला इन्सान थे इरफान. वे अपनी जिन्दगी में भी एक भावुक किरदार थे. अपनी मां से बेहद प्यार करने वाले इरफान की जुबान पर मरते समय मां का नाम था. उन्होंने कहा था - देखो, अम्मा मुझे लेने आई हैं !

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Apr 30, 2020, 05:43 PM IST
    • इरफान बहुत प्यार करते थे अपनी अम्मी से
    • कोकिलाबेन अस्पताल था आखिरी मुकाम
    • अपनी लड़ाई नहीं हारे, मरते हुए भी जीत गये इरफान
    • उन्होंने कहा था - अम्मा मुझे लेने आई हैं!
इरफान ने कहा था - अम्मा मुझे लेने आई हैं !

मुंबई. मायानगरी के रंगमंच पर एक मस्तमौला किरदार था जो अब हमारे बीच नहीं है - इरफान. ये एक ऐसा अभिनेता था कि जिसकी मृत्यु पर झूठी पंक्तियां नहीं लिखनी पड़ीं कि लोगों को रुला गये इरफान. इरफान सचमुच लोगों को रुला गये. अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों में प्यार का जादू जगाया था अपने लिये, उस अभिनेता इरफान के लिये जिसने भी सुना कि वो नहीं रहे, उसे पहले तो इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ किन्तु जब टीवी पर देखा कि ये हादसा वाकई हुआ है तो सबका चेहरा आंसुओं से भीग गया. रोना तो उसे भी आया जिसकी लिखी पंक्तियां आप अभी पढ़ रहे हैं. 

 

कोकिलाबेन अस्पताल था आखिरी मुकाम 

मुंबई का कोकिलाबेन अस्पताल भी ज़रूर उदास हुआ होगा जब उसने अपने आहते से इरफान को आखिरी बार जाते हुए देखा होगा. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने अभिनय का सिक्का मनवाने वाले इरफान ने न सोचा होगा कि एकदम से इस तरह जाना होगा सब छोड़ कर. कोलन इनफेक्शन तो बस एक बहाना था, इरफान को तो अपने सभी चाहने वालों को उदास छोड़ कर जाना था. आईसीयू के उस वार्ड में जिस में अंतिम समय इरफान थे, अपने बिस्तर पर लेटे हुए आखिरी वक्त में इस कमरे की दीवालों पर उन्होंने अपनी आंखों से अपनी जिन्दगी की हसरतों की कुछ वो कहानियां लिखी होंगी, जिनको न कोई कभी देख पायेगा, न पढ़ पायेगा.

 

अपनी लड़ाई नहीं हारे, मरते हुए भी जीत गये इरफान

अभिनय के आकाश के सितारे इरफान के लिये यह कहना गलत होगा कि इरफान अपनी लड़ाई हार गये. इरफान असल जिन्दगी में भी एक यादगार शख्सियत थे. इरफान ने ज़िन्दगी को लड़ने का हथियार कभी नहीं बनाया. हंसने-हंसाने वाले ज़िन्दादिल इस अभिनेता से मौत भी नहीं जीत पाई. उनके जीवन ने अपनी यात्रा पूरी की और ये ज़रूर कहना होगा कि इस यात्रा का आखिरी पड़ाव बन कर आई उनकी वह बीमारी जिसने आखिरी दम तक उनका साथ निभाया. और फिर मौत की बाहें थाम कर चले गये इरफान सूना करके सिनेमा जगत की जगमगाती रौशनियों को.  

 
उन्होंने कहा था - अम्मा मुझे लेने आई हैं

बहुत प्यार करते थे इरफान अपनी अम्मी को. तीन दिन पहले ही तो गईं थीं अम्मी भी, और लॉकडाउन में फंसे इरफान आखिरी बार अपनी अम्मी का चेहरा नहीं देख पाये. उस पीड़ा को किसी ने नहीं जाना क्योंकि इरफान ने वो दर्द भी अपनी मुस्कुराहट में छुपा लिया था. लेकिन जाने से पहले जब उन्होंने अपनी पत्नी सुतपा से कहा - देखो, अम्मा मेरे साथ बैठी हैं, वो मुझे लेने आईं हैं ! सुतपा फूट-फूट कर रो पड़ीं क्योंकि वो भी समझ गईं थीं कि अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. और उसके बाद उन्होंने आखिरी बार जी भर के देखा अपनी ज़िन्दगी के हीरो इरफान की सूरत को! 

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