नई दिल्लीः चीन की विस्तारवादी नीति भारत समेत पूरी दुनिया पर असर डालती रही है दूसरी ओर उसका किसी भी मामले खासकर सीमाओं को लेकर दोहरा रवैया भी पड़ोसियों से तनाव का कारण रहा है. मौजूदा भारत-चीन तनाव की स्थिति देखें तो पूर्वी लद्दाख में एक तरफ चीन से जारी तनाव के बीच WMCC की बैठकें हो रही हैं तो दूसरी ओर भारत का यह पड़ोसी देश सीमा पर सैन्य गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है.
चीन के कई एयरबेस पर जारी हैं सैन्य गतिविधियां
चीन की यह हरकतें भारतीय एजेंसियों से भी छिपी नहीं हैं. जून में हुई गलवान घाटी में झड़प के बाद से चीन की सैन्य गतिविधि और हर हरकत पर निगरानी रखी जा रही है. अरुणाचल प्रदेश के उत्तर में लद्दाख के दूसरी ओर एलएसी पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वायु सेना की हरकतों पर भारतीय एजेंसियों की कड़ी नजर है
. एजेंसियों की निगाहें होटन, गर गुनसा, काशघर, होपिंग, डोंका डोंग, लिन्झी और पंगट एयरबेस पर तनी हुई हैं.
अतरिक्त जवानों को किया है तैनात
सूत्रों के मुताबिक, इन एयरबेस पर हाल के दिनों में सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है. कुछ ही समय पहले चीनी एयरफोर्स ने इनमें से कई की क्षमता को भी बढ़ाया है. वहां पक्के आवास बनाए गए हैं. हार्डेन शेल्टर बनाने के साथ ही रनवे की लंबाइयां भी बढ़ाई गई हैं.
इसके साथ ही साथ ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए बड़ी संख्या में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है.
सिर्फ शांति-बातचीत का दिखावा कर रहा चीन
चीन लिनझी के हेलिकॉप्टर एयरपोर्ट बेस से भारतीय क्षेत्रों में भी निगरानी कर रहा है. इसके लिए एयरबेस पर हेलीपैड नेटवर्क स्थापित किया है, ताकि यहां से निगरानी बढ़ाई जा सके.
सूत्रों का कहना है कि चीन सिर्फ दुनिया भर के सामने बातचीत और शांति का दिखावा ही कर रहा है. हाथी के दांत खाने और दिखाने के अलग-अलग वाली नीति पर वह हमेशा ही कायम रहा है. ऐसे में चीन ने लद्दाख सेक्टर और भारत के सटे अन्य क्षेत्रों में अपने लड़ाकू विमान तैनात कर रखे हैं.
सीमा पर की जा रही है निगरानी
इन लड़ाकू विमानों में सुखोई-30 के चीनी संस्करण और स्वदेशी जे-सीरीज के बमवर्षक शामिल हैं. भारतीय एजेंसियां उपग्रहों और अन्य माध्यमों से इन सभी लड़ाकू विमानों की निगरानी कर रही हैं.
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने भी चीनी सेना की इन हरकतों को देखते हुए अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं.
भारतीय सेना भी है चौकन्नी
भारतीय वायुसेना चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए अपने अग्रिम एयरबेसों पर सुखोई-30 (Sukhoi-30), सुखोई-30 एमकेआई (Sukhoi-30MKIs), मिग-29 (MiG-29s) और मिराज-2000 (Mirage-2000s) के अपने बेड़े को पहले ही तैनात कर चुकी है.
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