इस बच्ची का नाम तनिष्का चंद्रन है. तनिष्का का आई क्यू लेवल उसके उम्र के सामान्य बच्चों से कहीं ज्यादा है और अब वह मध्य प्रदेश बोर्ड में 10 वीं क्लास की परीक्षा देने की तैयारी कर रही है.
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इंदौरः कहते हैं कि जिस इंसान के अंदर पढ़ने और आगे बढ़ने की ललक होती है, वह अपने रास्ते खुद बना ही लेता है. मध्य प्रदेश के एजुकेशन हब कहे जाने वाले इंदौर शहर में एक बच्ची की काबिलियत कुछ ऐसी है कि जिसे देखकर हर कोई हैरान है. महज 10 साल की उम्र में 10 वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा देने जा रही इस बच्ची के टैलेंट को राज्यपाल ने भी सराहा है. खास बात तो यह है कि मेडिटेशन और योग के जरिये इस बच्ची ने खुद को इस तरह से तैयार कर लिया है कि आंखों पर पट्टी बांधकर भी वह किताबें पढ़ लेती है. आई क्यू लेवल इतना कि इस बच्ची को देखकर आपको अल्बर्ट आंइस्टीन और स्टीफन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों की याद आ जाएगी
इस बच्ची का नाम तनिष्का चंद्रन है. तनिष्का का आई क्यू लेवल उसके उम्र के सामान्य बच्चों से कहीं ज्यादा है और अब वह मध्य प्रदेश बोर्ड में 10 वीं क्लास की परीक्षा देने की तैयारी कर रही है. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली तनिष्का को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 10 अलग-अलग भाषाओं का भी ज्ञान है और उसके पढ़ने लिखने की क्षमता सामान्य बच्चों से कहीं ज्यादा है. आंखों पर काली पट्टी बांधकर यह बच्ची जिस तरह से पजल सॉल्व कर लेती है उसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है और इसी तरह स्केटिंग चलाने की उसकी कला भी बेहद अलग है.
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तनिष्का पढ़ने में इतनी तेज है कि जहां अभी उसे चौथी कक्षा में होना चाहिए था, वह दसवीं के गणित के सवालों को आसानी से हल कर देती है. इतना ही नहीं वह दसवीं में पढ़ाए जाने वाले कई सारे विषयों को पढ़ रही है और सबसे कठिन मानी जाने वाली क्वॉन्टम फिजिक्स में वह दिलचस्पी दिखा रहा है. तनिष्का बचपन से ही होनहार है. तनिष्का के पिता सुजीत चंद्रन ने बचपन से ही उसकी इस प्रतिभा को पहचान लिया था और उसे मेडिटेशन और योग भी सिखाना शुरू किया. तनिष्का के पिता सुजीत बताते हैं कि मेडिटेशन और योग के जरिये तनिष्का का दिमाग तेजी से विकसित हुआ.
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दरअसल, तनिष्का के माता-पिता पेशे से शिक्षक है, ऐसे में उन्होंने उसकी पढ़ाई पर भी विशेष ध्यान देना शुरू किया. इस पर पता चला कि वह अपने से बड़ी कक्षा के बच्चों की किताबें और उनमें मौजूद सवाल भी आसानी से हल कर सकती है. इस पर उन्होंने उसे सीबीएसई तक पांचवी की पढ़ाई करवाने के बाद अपने ही निजी स्कूल में मध्य प्रदेश बोर्ड से ही तनिष्का का छठवीं कक्षा में एडमिशन करवा दिया और अब वह मॉडल स्कूल में 10 वीं की परीक्षा पास कर अब 12वीं की तैयारी करने में लगी है.
हांलाकि इतनी कम उम्र में तनिष्का को 10वीं की परीक्षा दिलाना आसान नहीं था. अपनी बच्ची की प्रतिभा को निखारने और उसे इस उम्र में 10वीं की परीक्षा दिलवाने के लिए तनिष्का के पिता सुजीत और मां अनुभा ने इंदौर से लेकर राजधानी भोपाल तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए. शिक्षा विभाग ने नियमों का हवाला देकर बच्ची को परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया. तत्कालीन राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने जब इस बच्ची की इस काबिलियत को पहचाना तो शिक्षा विभाग को विशेष नियमों के तहत बच्ची को 10वीं कक्षा में एडमिशन देने के निर्देश दिए. मॉडल स्कूल में एडमिशन मिलने के बाद इस सत्र में 10 साल की इस बच्ची ने 10वीं की परीक्षा में भी कीर्तिमान रच दिया है. जिसके बाद अब वह 12वीं की परीक्षा की तैयार कर रही है.
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इंदौर की इस होनहार बच्ची का कहना है कि आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ना या लिखना कोई ट्रिक या चमत्कार नहीं है बल्कि मेडिटेशन और योग का नतीजा है. दिमाग को स्थिर रखकर कोई भी व्यक्ति मेडिटेशन करे तो आसानी से इस तरह से आंखें बंद कर पढ़ा या लिखा जा सकता है. तनिष्का खुद ही हिंदी और अंग्रेजी के अलावा मलयालयम और दूसरी भाषाएं भी फर्राटेदार तरीके से बोलती है. इतना ही नहीं तनिष्का को पढ़ाई के साथ ही पेटिंग और डांस का भी शौक है. इसके लिए वह कत्थक क्लास भी जाती है.