Himalayan Griffon Vulture found in Kanpur: इस गिद्ध को कानपुर के चिड़ियाघर में रखा गया है. इस बात की तह तक जाने की कोशिश की जा रही है कि ये गिद्ध इस इलाके में कहां से आया.
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देश में गिद्धों की अधिकांश प्रजातियां विलुप्त होने के कागार पर है, लेकिन रविवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक दुर्लभ सफेद गिद्ध मिला है जिसे देखकर लोग हैरान रह गए. इस गिद्ध को स्थानीय लोगों ने पकड़ा, हालांकि इसके बाद लोगों ने इसे वन विभाग को सौंप दिया. इस गिद्ध की प्रजाति खत्म होने के कागार पर है. समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर के कर्नलगंज के ईदगाह कब्रिस्तान में ये दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध (Himalayan Griffon Vulture) को पकड़ा गया. बताया जा रहा है कि वह करीब एक हफ्ते से इलाके में है. इस गिद्ध के पंख 5-5 फीट के हैं, लोगों ने जैसे ही इसे देखा इसके साथ फोटो लेने की होड़ लग गई.
इस गिद्ध को कानपुर के चिड़ियाघर में रखा गया है. इस बात की तह तक जाने की कोशिश की जा रही है कि ये गिद्ध इस इलाके में कहां से आया. एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, 'ये गिद्ध यहां एक सप्ताह से था. हमने इसे पकड़ने की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हुए. अंत में जब यह नीचे आया तो हमने इसे पकड़ लिया.'
#WATCH | UP: A rare vulture was captured in Eidgah cemetery of Kanpur's Colonelganj yesterday. The locals handed it over to Forest Dept.
A local says, "The vulture had been here for a week. We tried to catch it but didn't succeed. Finally, we captured it when it came down." pic.twitter.com/7t5QWXiN3h
— ANI (@ANI) January 9, 2023
उन्होंने कहा कि इसे पकड़ने के बाद वन विभाग को इसकी सूचना दी गई और गिद्ध को उनके हवाले कर दिया गया. चिड़ियाघर में इस गिद्ध हर एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. ये भी बताया गया कि कानपुर में ऐसा ये एक गिद्ध नहीं है, बल्कि इनका जोड़ा था. लेकिन एक गिद्ध उड़ गया और एक लोगों की पकड़ में आ गया.
देखने के लिए जुटी भीड़
इस गिद्ध का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें स्थानीय लोगों को इस पक्षी को पकड़े हुए और उसके पंख को पकड़कर फैलाते हुए देखा जा सकता है. इस दुर्लभ पक्षी की एक झलक पाने और उसके साथ तस्वीरें लेने के लिए कई लोग जमा हो गए थे.
हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध ज्यादातर तिब्बती पठार के हिमालय वाले हिस्से में पाया जाता है. भारत में गिद्धों की 9 में से 4 प्रजातियां संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' श्रेणी में आती हैं. गिद्धों को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) की अनुसूची-I में भी रखा गया है जो देश में वन्यजीवों के लिए सुरक्षा की सर्वोच्च श्रेणी है.
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 के दशक के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों की आबादी कम हो गई थी. नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक के बाद से गिद्धों की संख्या में 99 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जो पशु चिकित्सा विरोधी दवा, डाइक्लोफेनाक के उपयोग के कारण हुई है. ये दवा, गायों के शवों को खाने वाले गिद्धों की मौत का कारण बनती है.
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