Banana History: केले के पेड़ सबसे पहले रेनफॉरेस्ट के बीच में होते थे. उस जगह पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती थी. ऐसे में केले के पेड़ों को भी उसी की आदत पड़ गई.
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Facts About Banana: केला शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है और डॉक्टर भी इसे सही समय पर खाने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा केला देखा है जो सीधा हो, शायद ही ऐसा हो. क्या आपने कभी केले की बनावट पर ध्यान दिया है, आखिर केला टेढा ही क्यों होता है, आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं कि इसके सीधे नहीं होने के पीछे की वजह क्या है?
केला पेड़ पर लगता है. सबसे पहले इसका फूल आता है. फूल की पत्ती के नीचे, छोटे केले के फलों की एक लाइन बढ़ने लगती है. एक बार जब वे आकार में बहुत बड़े हो जाते हैं, तो केला एक प्रोसेस से गुजरता है जिसे नेगेटिव जियोट्रोपिज्म कहा जाता है. जिसका मूल रूप से मतलब है कि लगातार जमीन की ओर बढ़ने के बजाय, वो धूप के लिए सूरज की ओर मुड़ना शुरू कर देते हैं. केला ऐसी जगह उगते हैं, जहां थोड़ी धूप होती है. अपन इसी प्रवृत्ति के कारण केला बाद में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से केले का आकार टेढ़ा हो जाता है.
अब केले की हिस्ट्री के बारे में बताते हैं. केले के पेड़ सबसे पहले रेनफॉरेस्ट के बीच में होते थे. उस जगह पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती थी. ऐसे में केले के पेड़ों को भी उसी की आदत पड़ गई. इससे केले पहले जमीन की ओर बढ़ते और फिर जब रोशनी आती तो सूरज की तरफ, इससे केले का साइज टेढ़ा हो गया.
केले के पौधे को पवित्र भी मान गया है भारत में इसकी पूजा भी होती है. ऐसा माना जाता है कि केला सबसे पहले करीब 4000 साल पहले मलेशिया में हुआ था.
केला अकेला ऐसा पेड़ नहीं है जो निगेटिव जियोट्रोपिज्म से ताल्लुक रखता है. आपने सूरजमुखी का नाम तो सुना ही होगा. उसका भी धूप के साथ ऐसा ही रिश्ता है. सूरज जिधर धूमता जाता है सूरजमुखी का फूल भी उधर ही मुड़ता जाता है.
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