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बीजिंग: दुनिया को कोरोना (Coronavirus) महामारी में धकेलने वाले चीन (China) की प्रयोगशालाओं को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है. लेखक और पत्रकार जैस्पर बेकर (Jasper Becker) का दावा है कि बीजिंग जीन्स में बदलाव कर नए जानवर बना रहा है. उन्होंने कहा कि चीन में उन सभी तरह के प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिनकी दुनिया में कहीं और अनुमति नहीं है. बेकर के इस दावे से कोरोना के वुहान लैब (Wuhan Lab) से लीक होने की थ्योरी को बल मिला है. अमेरिका सहित तमाम देश यह मानते हैं कि कोरोना चीन की लैब से ही पूरी दुनिया में फैला.
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, 20 सालों तक चीन (China) को कवर करने वाले पत्रकार जैस्पर बेकर (Jasper Becker) ने चीनी प्रयोगशालाओं की ‘ढीली’ बायोसिक्योरिटी से जुड़ी रिपोर्ट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सबूत है कि कोरोना वायरस ऐसे ही लैब से निकला था. बेकर का दावा है कि वुहान में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से पहले हजारों Genetically Engineered जानवर बनाए हैं. इन लैब्स में बंदरों और खरगोशों को जीन-परिवर्तित वायरस का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिनमें से कुछ SARS-CoV-2 के समान होते हैं.
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जैस्पर बेकर ने कहा कि चीनी वैज्ञानिक अपनी लैब में खतरनाक और अनैतिक कदम उठा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘जब से वैश्विक बायोटेक निवेश में उछाल आया है, ऐसा लगता है कि चीनी शोधकर्ता जानवरों और यहां तक कि इंसानों पर भी ऐसे खतरनाक शोध कर रहे हैं, जिन्हें ज्यादातर पश्चिमी देशों में अनैतिक माना जाएगा’. बेकर के मुताबिक, चीन की प्रयोगशालाओं में अनैतिक कार्य पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) देखरेख में होते हैं.
उन्होंने कहा कि चीन बंदरों पर रिसर्च की राजधानी बन गया है, जिसके पीछे यह तर्क है कि इंसानी दिमाग को समझने के लिए ये सबसे बेहतर जानवर हैं. शंघाई में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस (ION) ने 2019 में एक वयस्क मकाक (Macaque) से पांच शिशु बंदरों का क्लोन बनाया, जो Genetically-Edited थे. नतीजा यह हुआ कि बेबी प्राइमेट एक ऐसे म्यूटेंट के साथ पैदा हुए जिसने उनके नींद चक्र को बिगाड़ दिया.
पत्रकार का दावा है कि बंदरों को उनके मस्तिष्क विकारों के इलाज के लिए नई दवाएं देकर शोधकर्ता अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी बीमारियों के लिए इलाज विकसित करने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन जिस तरह से अपनी प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल करता है, उससे इस बात की पूरी संभावना है कि कोरोना वायरस लैब से ही इंसानों में फैला हो. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जांच एजेंसियों को 90 दिनों के अंदर कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के आदेश दिए हैं.