Pakistan News: पाकिस्तान की माली हालत खस्ता है. देश के नेताओं की गलतियों का खामियाजा देश के करोड़ों बच्चों को उठाना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा बुरी हालत तो लड़कियों की हो गई है, जिन्हें अपनी मां के साथ ऐसा काम करना पड़ रहा है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
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Pakistan inflation forced girls to quit school: पाकिस्तान में लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट (Pakistan Crisis) है. हालात अब ऐसे हो गए हैं कि घर का चूल्हा जलाने के लिए पूरे के पूरे परिवार को काम करना पड़ रहा है. इस संकट का सबसे बुरा असर इस देश के बच्चों पर पड़ रहा है. घर में पैसे की तंगी के चलते लाखों बच्चों की पढ़ाई लिखाई छूट गई है. उनके लिए खुशहाल बचपन बिताना एक सपना हो गया है. ऐसे हालातों में घर की छोटी बच्चियों के सिर पर भी बड़ी शामत आ गई है.
पाकिस्तान में बढ़ी बाल मजदूरी
लंबी अस्थिरता, राजनैतिक नाकामियों के बीच आतंकियों की फैक्ट्री चलाने वाले पाकिस्तान की माली हालत किसी से छिपी नहीं है. बढ़ती महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है. मध्यम वर्ग और गरीबी की रेखा के नीचे जीने वालों का हास बेहाल हो गया है. देश में कई परिवारों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है. AFP की एक रिपोर्ट के मुताबिक लाखों बच्चों की पढ़ाई छूट गई है उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए अपने मां-बाप के साथ मजबूरी में मजदूरी या अन्य दूसरे काम करने पड़ रहे हैं.
लाहौर की मासूम नादिया की दास्तान
ऐसी ही एक 16 साल की लड़की नादिया है जो हर दिन अपने मालिक के घर से आने-जाने के लिए एक घंटे का सफर पैदल तय करती है. नादिया को उसकी मां लाहौर की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर थोड़ी थोड़ी देर में रोक देती हैं ताकि उसकी बच्ची थन न जाए. नादिया की अभी सात साल की पढ़ाई लिखाई बाकी थी, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए उसे अपनी मां के साथ घरेलू सहायिका यानी मेड के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा. नादिया के पिता बताते हैं कि वो उसे पढ़ाना चाहते थे लेकिन उनके पास अब कोई और चारा नहीं बचा. उसके पिता मुहम्मद अमीन एक सिक्योरिटी गार्ड हैं जिनके सामने महज 6000 रुपए महीना सैलरी में अपने घर को चलाने की मजबूरी है. इस फैमिली की तरह पाकिस्तान के लाखों परिवारों के बच्चे आज बाल मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं. नादिया की की मां मिराज बताती हैं कि जब वे गैस, बिजली और आटा चावल तक नहीं खरीद पा रही हैं, तो वो नादिया को स्कूल कैसे भेज सकती हैं.
भीख मांगने का खतरा
पाकिस्तान लगातार वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में सबसे नीचे है. जहां लड़कियों को अक्सर वित्तीय बोझ के रूप में देखा जाता है. आईएमएफ की मदद के लिए पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कई टैक्सों में बेहिसाब इजाफा किया है जिससे वहां त्राहिमाम मच गया है. बढ़ती महंगाई के बाद अब इस बात की आशंका है कि नादिया जैसे सैकड़ों बच्चों को घर की कमाई में हाथ बटाने के लिए स्कूल छोड़ने पड़ सकता है. देश में बिगड़ती स्थिति के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी कहा कि देश में 5 से 16 साल की उम्र के आधे बच्चों के काम पर जाने या भीख मांगने का खतरा पैदा हो गया है.
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