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बीजिंग: सीमा विवाद (Border Dispute) को लेकर चीन के धोखे की एक और तस्वीर सामने आई है. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों में पता चला है कि चीनी सेना (Chinese Army) विवाद वाले स्थान से ज्यादा पीछे नहीं है. जिसका मतलब है कि चीन कभी भी पुरानी कहानी दोहरा सकता है. करीब छह महीने पहले भारत-चीन के बीच पैंगोंग झील इलाके से सेना को पीछे हटाने और गश्त नहीं लगाने पर सहमति बनी थी. इसके बाद चीन ने सेना को पैंगोंग झील के फिंगर 4 से हटाकर फिंगर 8 के पीछे तैनात कर दिया था. अब सैटेलाइट इमेज से खुलासा हुआ है कि चीनी सेना विवाद वाले पॉइंट के ठीक पास मौजूद है.
ओपन इंटेलिजेंस सोर्स ‘Detresfa’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन (China) ने भारी तादात में सैनिकों को पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) के पास वाले इलाके में तैनात कर रखा है, जिससे पता चलता है कि बीजिंग सीमा विवाद खत्म करने के मूड में नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का यह ठिकाना गश्त नहीं लगाने को लेकर हुए समझौता स्थल से मात्र कुछ ही दूरी पर है.
Imagery of #PangongTso six months after the disengagement between #India-#China shows the PLA forward base in the area housing troops not far from the agreed no patrol zone, the image also underlines how the border conflict continues to be an existing issue between both neighbors pic.twitter.com/ippClCzobv
— d-atis☠️ (@detresfa_) July 27, 2021
Detresfa की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन ने यरकांट एयरपोर्ट का संचालन फिर से शुरू कर दिया है, जिसका मकसद पूर्वी लद्दाख में भारतीय एयरफोर्स को काउंटर करना है. एक अन्य रिपोर्ट की मानें तो चीन ने गलवान हिंसा के दौरान तैनात सैनिकों की संख्या से 15 हजार ज्यादा जवानों को इस बार तैनात किया हुआ है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पिछले कुछ महीनों में धीरे-धीरे जवानों की उपस्थिति को बढ़ाकर 50 हजार से ज्यादा कर दिया है.
वहीं, भारत भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की गतिविधियों को लेकर सतर्क है. भारतीय सेना ने सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है. इसके अलावा, ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है, ताकि कुछ भी गलत होने पर उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके. गौरतलब है कि लद्दाख हिंसा के बाद से दोनों देशों में तनाव बरकरार है. कई राउंड बातचीत के बाद भी विवाद पूरी तरह सुलझा नहीं है. इसकी सबसे बड़ी वजह है चीन का हर पल कोई नई चाल चलना.