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Samsung:मछली बेचने वाली 'सैमसंग' कैसे बन गई मोबाइल बनाने वाली अरबों की कंपनी, कभी मालिक ने जला दिए थे लाखों फोन

  सैमसंग (Samsung) का नाम सुनते ही आपके दिमाग में किसकी छवि बनती है. मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी, होम अप्लायंस...? दुनिया  के करीब 70 फीसदी मोबाइल सैमसंग के हैं.

किस्सा सैमसंग का

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किस्सा सैमसंग का

Samsung Success Story :  सैमसंग (Samsung) का नाम सुनते ही आपके दिमाग में किसकी छवि बनती है. मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी, होम अप्लायंस...? दुनिया  के करीब 70 फीसदी मोबाइल सैमसंग के हैं. लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि मोबाइल फोन, होम और किचन एप्लायंस की दिग्गज कंपनी सैमसंग की शुरुआत एक छोटे से किराने स्टोर से हुई है. मछली बेचने वाले ने अपनी समझ और बिजनेस स्कील से सैमसंग जैसे ब्रांड की शुरुआत कर दी.  

कैसे हुई सैमसंग की शुरुआत

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 कैसे हुई सैमसंग की शुरुआत

 

सुनने में भली ही आपको अजीब लगे, लेकिन सच यही है कि जिस ब्रांड को आप स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेंट्स के लिए जानते हैं, उसकी नींव एक छोटे से किराने दुकान में रखी गई. सैमसंग कंपनी की मजबूती का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इसे घाटा हो जाए तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था हिल जाती है. देश की जीडीपी में सैमसंग की हिस्सेदारी 17 फीसदी की है.  इतनी बड़ी कंपनी की शुरुआत एक किराने की दुकान में हुई. साल 1938 में साउथ कोरिया के ब्यूंग चुल ने सैमसंग की शुरुआत की. 

मछली बेचने वाले से कैसे खड़ा कर दिया सैमसंग का साम्राज्य ?

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 मछली बेचने वाले से कैसे खड़ा कर दिया सैमसंग का साम्राज्य  ?

 

   सैमसंग की शुरुआत एक छोटी सी दुकान से हुई थी.साल 1938 में दक्षिण कोरिया के बायुंग चुल ने सैमसंग की नींव रखी, लेकिन सैमसंग नाम की दुकान में वो मछली, आटा, जाल-चावल, नूडल्स बेचते थे. किराने की दुकान को धीरे-धीरे उन्होंने बड़ा किया. मछली बेचने के साथ-साथ उन्होंने इंश्योरेंस सेक्टर में एंट्री की. वो दूसरे देशों को भी नूडल्स बनाने का सामान और ड्राई फिश एक्सपोर्ट करने लगे. 1950 ने उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाकर इंश्योरेंस और टेक्सटाइल सेक्टर तक फैलाया. हालांकि उन्हें इसमें कुछ फायदा नहीं दिखा.  साल 1969 में बायुंग चुल ने टेक्नोलॉजी सेक्टर की ओर अपना पैर फैलाना शुरू किया. वो समझ चुके थे कि आने वाले वक्त टेक्नॉलिजी का है.  

सैमसंग के लाखों फोन में लगा दी आग

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 सैमसंग के लाखों फोन में लगा दी आग

 

इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में कदम रखने के साथ ही उन्होंने जापानी कंपनी के साथ मिलकर 1970 में ​ब्लैक एंड व्हाइट टीवी लॉन्च किया. साल 1980  में कंपनी ने मोबाइल बनाना शुरू कर दिया. साल 1988 में सैमसंग का पहला मोबाइल फोन बाजार में आ गया, जिसका नाम SGH-100 रखा गया.  हालांकि इसका रिव्यू अच्छा नहीं था. लोगों ने शिकायतें की और कहा कि सैमसंग के फोन ठीक से काम नहीं कर रहे. जब ये शिकायतें ब्यूगं चुल तक पहुंची उन्होंने स्टोर में रखें लाखों मोबाइल फोन को आग लगवा दी. उस वक्त उन फोन्स की कीमत करोड़ों में थी, लेकिन चुल के लिए पैसे से ज्यादा लोगों को भरोसा महत्वपूर्ण था.  

इस तरह बना सैमसंग का दबदबा

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 इस तरह बना सैमसंग का दबदबा

 

बायुंग चुल की मौत के बाद उनके बेटे ली कुन ने कंपनी संभाली. उन्होंने कारोबार को चारों ओर फैलना शुरू किया. उन्होंने सेमीकंडक्टर पर फोकस बढ़ाया और उस दिशा में काम करना शुरू किया. ली ने सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और सैमसंग सेमीकंडक्टर का मर्जर कर दिया. कंपनी के मोबाइल, टीवी , फ्रिज के अलावा स्मार्टफोन के सेक्टर में हिट हो गई. सैमसंग इन सब के अलावा कार से लेकर फाइटर जेट प्लेन तक के कारोबार में है. इसके अलावा सैमसंग रियल एस्टेट और होटल सेक्टर में भी तेजी से बढ़ने लगी हैं.  जिसकी शुरुआत छोटे से किराने स्टोर से हुई थी, वो आज 402.08 अरब डॉलर की कंपनी बन चुकी है. 

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