Bihar Samachar: नीतीश कुमार भी छात्र राजनीति व जेपी आंदोलन (JP Movement) से उभर कर ही सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे हैं.
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Patna: बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही इस समय राज्य के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में से एक हों लेकिन क्या आपको पता है कि अपने करियर के पहले विधानसभा चुनाव में ही उनको हार मिली थी. यही नहीं इस पहली हार के करीब 3 साल बाद एक बार फिर से चुनाव लड़े और इस बार फिर नीतीश चुनाव हार गए लेकिन इसके बाद जब आगे बढ़े तो फिर नीतीश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. तो आइए आज जानते हैं नीतीश कुमार अपने करियर का पहला चुनाव कहां से लड़े किस पार्टी से लड़े और किसने उन्हें मात दी.
यह बात 1975 की है. पटना के गांधी मैदान में छात्रों की भारी भीड़ को जय प्रकाश नारायण संबोधित कर रहे थे. जय प्रकाश के इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी कई छात्र नेताओं के हाथ में थी. इनमें से एक नाम नीतीश कुमार का भी था. नीतीश छात्र राजनीति व जेपी आंदोलन (JP Movement) से उभर कर ही सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे हैं. नीतीश कुमार पहली बार 1977 में विधानसभा चुनाव लड़े थे लेकिन इस चुनाव में उनको करारी हार मिली थी.
दरअसल, राज्य में जेपी आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार 1977 में करीब 26 साल के थे. इमरजेंसी समाप्त होने के बाद नीतीश नालंदा जिले की हरनौत सीट से चुनाव लड़े थे.
जनता पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था. अपने जीवन के पहले ही चुनाव में नीतीश कुमार हार गए. उनको हराने वाले कोई नहीं थे बल्कि एक अहम मौके पर उनकी गाड़ी के ड्राइवर रहे भोला सिंह थे.
दरअसल, नीतीश कुमार ने मंजू के साथ पटना में कोर्ट मैरिज शादी की थी. इस शादी के बाद जिस वीआईपी गाड़ी से वह पत्नी को लेकर रवाना हुए थे, उस गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे थे भोला प्रसाद सिंह.
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कौन जानता था कि शादी के 4 साल बाद ही भोला सिंह व नीतीश कुमार चुनावी मैदान में आमने सामने होंगे. लेकिन हुआ कुछ ऐसा ही और पहली ही चुनाव में नीतीश कुमार को भोला सिंह ने हरा दिया.
इस चुनाव के करीब तीन साल बाद इस हार को भुलाकर नीतीश 1980 में दोबारा इसी सीट से खड़े हुए. इस बार जनता पार्टी (सेक्युलर) ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में भी नीतीश को हार मिली और वो निर्दलीय अरुण कुमार सिंह से हार गए. कहा जाता है कि अरुण कुमार सिंह को भोला प्रसाद सिंह का समर्थन हासिल था.
हालांकि, 1985 में तीसरी बार नीतीश इस सीट से चुनाव लड़े और करीब 21 हजार वोट से उन्हें जीत मिली. इसके बाद उनका राजनीतिक करियर प्रारंभ हो गया. बाद में 1995 में नीतीश कुमार आखिरी बार विधानसभा चुनाव लड़े. इसके बाद वह एमएलसी बनकर राज्य में राजनीति करते रहे.
संसदीय चुनाव लड़कर कुमार दिल्ली भी गए. रेलवे समेत कई केंद्रीय मंत्रालय का जिम्मा संभालने के बाद नीतीश ने एक बार राज्य की ओर लौटने का मन बनाया और वह यहीं की राजनीति में रम गए. परिणाम हम लोगों के सामने है कि कुमार पिछले करीब 15 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज हैं.