Shahabuddin News: शहाबुद्दीन जेल में रहकर पहली बार 1990 में विधायक बने थे. इस दौरान शहाबुद्दीन अपने क्षेत्र से निर्दलीय विधायक चुने गए थे.
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Patna: बिहार के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन (Shahabuddin) का बीते शनिवार को कोरोना संक्रमण की चपेट में आने की वजह से अस्पताल में निधन हो गया. शहाबुद्दीन इस समय तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. शहाबुद्दीन का बाहुबली बनने और फिर नेता बनने का सफर बेहद दिलचस्प रहा है.
1980 में डीएवी कॉलेज से राजनीति में कदम रखने वाले इस नेता ने माकपा व भाकपा के खिलाफ जमकर राजनीति किया. फिर धीरे-धीरे सीवान में ताकतवर राजनेता के तौर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. राजनीतिक करियर की शुरुआत में शहाबुद्दीन का भाकपा माले के साथ तीखा टकराव रहा.
जेल में बंद शहाबुद्दीन के नाम से भी खौफ खाते थे लोग-
इस तरह सीवान (Siwan) की धरती जिसे लोग कभी देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू से जोड़कर याद करते थे, उस सीवान को 1990 के दौर में शहाबुद्दीन के नाम से जाना जाने लगा. फिर एक समय ऐसा भी आया कि लोग बात-बात में जुबानी तौर पर कहते थे कि शहाबुद्दीन की मर्जी के बगैर सीवान में पत्ता तक नहीं डोलता है. जेल में बंद शहाबुद्दीन से भी सीवान में लोग उसके नाम का खौफ खाते थे.
1990 में पहली बार जेल से ही बने थे विधायक-
शहाबुद्दीन जेल में रहकर पहली बार 1990 में विधायक बने थे. इस दौरान शहाबुद्दीन अपने क्षेत्र से निर्दलीय विधायक चुने गए थे. पहली बार सीवान के ही हुसैनगंज थाना में शहाबुद्दीन के खिलाफ एक मामला दर्ज हुआ था. इसके बाद वह पैरवी कराने के लिए अपने क्षेत्र के तत्कालीन विधायक के पास पहुंचे थे. विधायक ने पैरवी करने से मना कर दिया था. तभी शहाबुद्दीन ने सोच लिया था कि उनको अब विधायक जी बनना है. इसके बाद जेल से ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शहाबुद्दीन ने पर्चा भरा और वह जीतकर पहली बार विधायक बन गए.
देखते ही देखते लालू प्रसाद यादव का करीबी हो गए शहाबुद्दीन-
पहली बार का विधायक बनने वाला शहाबुद्दीन देखते ही देखते मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) का करीबी बन गया. वह लालू सेना (पार्टी) का सदस्य बना और फिर यहां से उसकी राजनीतिक सफलता की कहानी शुरू हुई. इसके बाद वह दो बार का विधायक और चार बार का सांसद चुना गया. इसके बाद एक समय ऐसा भी आया जब लालू यादव से शहाबुद्दीन गुस्सा हो गए थे.
पुलिस को थप्पड़ मारने के बाद 2001 में बढ़ गया था मामला-
दरअसल, 15 मार्च 2001 को पुलिस जब एक मामले में शहाबुद्दीन के खिलाफ वारंट लेकर गिरफ्तार करने पहुंची तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तार करने आए अधिकारी को ही थप्पड़ मार दिया. उनके सहयोगियों ने पुलिस वालों की जमकर पिटाई कर दी. इस घटना के बाद बिहार पुलिस के बड़े अधिकारियों ने इस घटना को अपने सम्मान से जोड़ लिया. फिर क्या था अगले ही दिन शहाबुद्दीन पर कार्रवाई की कोशिश में उनके प्रतापपुर वाले घर पर छापेमारी की गई.लेकिन, इस दौरान जो हुआ वह बेहद दुखद रहा.
घर पर पुलिस की छापेमारी के बाद लालू यादव से गुस्सा हो गया शहाबुद्दीन
इस घटना में शहाबुद्दीन समर्थक व पुलिस के बीच करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में 8 ग्रामीण मारे गए थे. इसके बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा था. शहाबुद्दीन दो पुलिस की गाड़ियों में आग लगाकर नेपाल भाग गया. तभी से देश में बड़े बाहुबली नेता के तौर पर उसकी पहचान होने लगी.इस घटना के बाद शहाबुद्दीन लालू यादव से बेहद नाराज हो गया था.
जब लालू यादव ने सीवान जाकर शहाबुद्दीन से मुलाकात की-
इसकी जानकारी मिलते ही एक सप्ताह बाद लालू यादव शहाबुद्दीन से मिलकर उसको मनाने के लिए गए थे. लालू यादव से जब पत्रकारों ने पूछा तो बोले थे कि सीवान का सांसद मेरा छोटा भाई है मिलने आया था. इस घटना के बाद सीवान के एसपी व डीएम को लालू यादव ने ट्रांसफर करके मामला भले ही दबा दिया था. लेकिन, 2005 में तत्कालीन डीएम सीके अनिल व एसपी रत्न संजय ने इस मामले में शहाबुद्दीन की मुश्किलों को बढ़ा दिया था.