सफलता का जश्न: 'कामयाबी के रंग'- पेंटिंग कॉन्ट्रैक्टरों का एक सफ़र
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सफलता का जश्न: 'कामयाबी के रंग'- पेंटिंग कॉन्ट्रैक्टरों का एक सफ़र

'Kaamyaabi Ke Rang': 'कामयाबी के रंग', महज़ एक सीरीज़ नहीं है, यह उन पेंटिंग कॉन्ट्रेक्टरों की कलाकारी और समर्पण का उत्सव है, जिन्होंने अपने व्यवसाय में एक अहम मकाम हासिल किया है.

सफलता का जश्न: 'कामयाबी के रंग'- पेंटिंग कॉन्ट्रैक्टरों का एक सफ़र

Celebrating Success: 'Kaamyaabi Ke Rang': 'कामयाबी के रंग', महज़ एक सीरीज़ नहीं है, यह उन पेंटिंग कॉन्ट्रेक्टरों की कलाकारी और समर्पण का उत्सव है, जिन्होंने अपने व्यवसाय में एक अहम मकाम हासिल किया है. आज जब हम इस समृद्ध करने वाले कार्यक्रम के पांचवे वर्ष की शुरूआत कर रहे हैं तो हम इस पर विचार करेंगे कि कैसे इस सीरीज़ ने लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव लाया है और पेंटिंग उद्योग के मानवीय पहलू को प्रदर्शित किया है और इसके साथ ही उन बेहतरीन कौशल को प्रमुखता से दर्शाया है जो इन कॉन्ट्रैक्टरों की एक अलग पहचान बनाते हैं.

'कामयाबी के रंग'

प्रोफेशनल तरीके से शूट किए गए 10 मिनट के वीडियोज़ की यह वार्षिक सीरीज़ संपूर्ण भारत में पेंटिंग कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए सम्मान का प्रकाशस्तंभ बन गई है. हर साल के साथ 'कामयाबी के रंग' सीरीज़ अधिक विकसित होती गई है, जिसमें इन लोगों की चुनौतियों, सफलताओं और बड़े बदलावों को प्रस्तुत किया गया है जो इनकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. यह सीरीज़ पेंटिग कॉन्ट्रैक्टरों के जीवन को गहराई से जानने की कोशिश करती है और कॉन्ट्रैक्टरों की घिसी-पिटी छवि को तोड़ती है और उनकी कला दुनिया के सामने पेश करती है. केवल ब्रश से रंगने से आगे जाकर वे घरों में खुशियाँ बिखेरते हैं, जगहों को नए सिरे से परिभाषित करते हैं और उत्सवपूर्ण वातावरण का निर्माण करते हैं.

बेहतरीन और आपको बांधे रखनेवाली कहानियों के ज़रिए यह सीरीज़ रंगों और रचनात्मकता के इन उम्दा कलाकारों से आपका परिचय कराएगी. यह सीरीज़ ब्रांडिंग से भी बढकर बहुत कुछ है, यह एक ऐसे पुल की तरह है जो कॉन्ट्रैक्टर्स और ग्राहकों दोनों को मास्टरस्ट्रोक्स/एशियन पेंट्स के साथ जोड़ने का काम करता है.

प्रेरणात्मक कहानियां

इस सीरीज़ में सबसे प्रेरणात्मक कहानियों में से एक है आकृति की कहानी. बचपन से आकृति को रंगों और डिज़ाइन का आकर्षण रहा है. बड़ी होने के बाद उसने अपने बचपन की रूचि को बिज़नेस में तब्दील करने का फैसला किया. एक बिज़नेसवुमन के तौर पर आकृति को ग्राहक संतुष्टि में बहुत भरोसा है. उसने हर प्रोजेक्ट को रंग और रचनात्मकता को व्यक्त करने के एक अवसर के रूप में देखा. जल्द ही आकृति का सफर एक बेहद शानदार मोड़ पर आ गया. इस राह पर उसकी मुलाकात प्रदीप से हुई. इस ऊर्जावान जोड़ी ने घरों के लिए विस्तृत सॉल्यूशन्स पेश करना शुरू किया. उनके इस उद्यम का नाम भी एकदम सटीक रखा गया था “ए-ज़ेड होम सॉल्यूशन्स”, जो उनके ग्राहकों की ज़रूरतों के हर पहलू का समाधान ढूंढ़ने की उनकी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है.

मिलिए गौरव से. अपने पिता की तरह ही, जिन्होंने इंदौर में कई दीवारों को अपनी पेंटिग से सजाया है, गौरव को भी लगा कि पेंटिंग में ही वह नाम कमा सकता है. हालांकि, गौरव के सफलता की राह महज किस्मत की बात नहीं थी. वह कई महानगरों में गया और कई तरह के कामों में अपना हाथ आज़माया, लेकिन हर बार उसे महसूस होता था कि पेंटिंग के लिए उसका जुनून उसे पुकार रहा है. अपने सफलता के सफर में गौरव को एशियन पेंट्स के रूप में एक सच्चा साथी मिला. गौरव ने अपने संभाव्य ग्राहकों को अपना पिछला काम दिखाने के लिए मान्यताप्राप्त पोर्टफोलियो के माध्यम से एक तरीका ढूंढ लिया था. एशियन पेंट्स के नवाचारी दृष्टिकोण ने एक व्यापक दर्शकवर्ग तक पहुँचने के दरवाज़े खोल दिए और उद्योग में अपनी मौजूदगी को स्थापित कर दिया. पेशेवर रवैय्ये और महत्वाकांक्षा के लिए गौरव का समर्पण अटल था. घरों को अधिक चमकदार तरीके से पेंट करना और अपने परिवार के भविष्य में रंग

भरना उसका लक्ष्य था. हर ब्रशस्ट्रोक, हर कलर पैलेट उनके सपनों को सुरक्षित करने के लिए पेंटिंग का काम अंजाम देते थे.

केरल के अनीश से मिलिए. उसकी कहानी जुनून की ताकत, विज़न और अपनी जड़ों के लिए कुछ करने की इच्छा का प्रमाण है. अनीश ने अपने चाचा से पेंटिंग की बुनियादी चीज़ें सीखी थी जिन्होंने सउदी अरब में एक पैंटर के तौर पर काम किया था. एक बार जब वह छुट्टियों में केरल में अपने घर लौटा, तो उसकी किस्मत ने अपना काम शुरू कर दिया. अपने अनोखे वातावरण के साथ केरल ने अनीश के सफ़र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यहाँ का मौसम एक पृष्ठभूमि से भी बढकर बहुत कुछ था, इसने इस्तेमाल किए जाने वाले पेंट और रंगों, इसके साथ ही पॉलिश के प्रकारों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया जो इस नमी से भरे स्वर्ग में समय की परीक्षा में खरे उतरते हों. अनीश ने जल्दी ही केरल में पेंटिंग मार्केट की बारिकियों को समझ लिया और एक समर्पित टीम तैयार की. जैसे जैसे टीम का विस्तार हुआ, वैसे वैसे अधिक बेहतरीन डिज़ाइनों का निर्माण करने की अनीष की आकांक्षाओं ने भी फैलना जारी रखा. अनीष आज जब पीछे मुड़कर देखता है, तो वह कृतज्ञ महसूस करता है कि वह केरल में ही रूका रहा. पेंट के प्रति उसके प्यार की बराबरी केवल अपने प्यारे राज्य के लिए उसके प्रेम से ही हो सकती है.

आज जब हम 'कामयाबी के रंग' का पांचवा साल मना रहे हैं, हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस सीरीज़ ने न सिर्फ कॉन्ट्रैक्टरों को चमकने के लिए एक प्लैटफॉर्म दिया है, लेकिन इसके साथ ही इस व्यवसाय के भीतर मौजूद ज़बरदस्त प्रतिभा को जानने का मौका भी दिया है. उनकी कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि सफलता अलग रहकर हासिल नहीं होती, बल्कि यह जुनून, हुनर और उत्कृष्टता को लगातार पाने का नतीजा है.

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