इस तिलक को लगाते ही चमकने लगती है किस्मत, संवर जाता है भाग्य
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इस तिलक को लगाते ही चमकने लगती है किस्मत, संवर जाता है भाग्य

भारतीय संस्कृति में पूजा—पाठ से लेकर हर शुभ कार्य के लिए जाते समय तक तिलक लगाने की परंपरा रही है.

जानिए तिलक लगाने के नियम और फायदे

नई दिल्ली: सनातन परंपरा में तिलक का काफी महत्व है. भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ से लेकर हर शुभ कार्य के लिए जाते समय तक तिलक लगाने की परंपरा रही है. तिलक का संबंध सिर्फ सौंदर्य या शालीनता से नहीं बल्कि आध्यात्मिकता से होता है. किसी भी संत के माथे पर लगा तिलक उसकी पूरी परंपरा की पहचान होता है. आइए जानते हैं कि सनातन परंपरा में माथे पर लगाए जाने वाले किस तिलक का क्या गुण और क्या महत्व है.

  1. सनातन परंपरा में तिलक का काफी महत्व है
  2. परंपरा के अनुसार अलग-अलग तरह के तिलक लगाए जाते हैं
  3. हर तिलक का अपना नियम और फायदा होता है

चंदन तिलक
शीतलता प्रदान करने वाले चंदन के तिलक का सनातन परंपरा में अत्यंत महत्व है. चंदन का तिलक लगाने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है. मन-मस्तिष्क को शीतल बनाए रखने में सफेद चंदन का तिलक अत्यंत प्रभावी होता है. वहीं लाल चंदन के तिलक से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है. लाल चंदन के तिलक के प्रभाव से व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ती है और उसके सभी कार्य शुभता के साथ संपन्न होते हैं. बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं.

भस्म तिलक
सनातन परंपरा मानने वाले साधु—संत अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं. भारतीय संस्कृति में पूजा में हवन के बाद हवन की भस्म का तिलक लगाने का प्रावधान है. माथे पर भस्म का तिलक लगाने से ब्रह्मरंध्र और आज्ञाचक्र जागृत होता है. भस्म तिलक के प्रभाव से हमारा मन गलत चीजों से हटकर सात्विकता की ओर जाता है. शनिवार के दिन भस्म का चंदन लगाने से भगवान भैरव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं.

सिंदूर तिलक
गणपति बप्पा और श्री हनुमान जी को लगाए जाने वाले सिंदूर का तिलक तमाम तरह की बाधाओं को दूर करता है. किसी भी कार्य में बाधाओं को दूर करके सिद्धि के लिए बुधवार के दिन गणपति के पैर में लगे सिंदूर को माथे पर प्रसाद के रूप से लगाने से सभी कार्य बनते हैं. इसी प्रकार मंगलवार और शनिवार को श्री हनुमान जी के कंधे पर लगे सिंदूर को प्रसाद स्वरूप तिलक लगाने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और शत्रुओं का नाश होता है. नजर दोष दूर करने का भी यह महाउपाय है.  

कुमकुम तिलक
हल्दी के चूरन को नींबू के रस से भावना देकर कुमकुम बनाया जाता है. शादीशुदा महिलाएं सौभाग्य की कामना के लिए अक्सर अपने माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं. कुमकुम का तिलक मेधा शक्ति को बढ़ाने और त्वचा रोगों से बचाने का काम करता है.

मृत्तिका तिलक
मृत्तिका यानी मिट्टी का तिलक भी तमाम तरह के गुणों को अपने भीतर समेटे हुए होता है. शास्त्रों में मृत्तिका तिलक की काफी महत्ता बताई गई है. मिट्टी का प्रयोग न सिर्फ शुभता के लिए बल्कि औषधि के रूप में भी किया जाता है।

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