कोरोना काल में साधारण विधि से घर में ही करें श्राद्ध, बदलें दान का स्वरूप
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कोरोना काल में साधारण विधि से घर में ही करें श्राद्ध, बदलें दान का स्वरूप

हिंदू धर्म सदा से ही खुद को समय, स्थान व स्थिति अनुसार ढालता आया है और इसीलिए इसे सनातन धर्म कहते हैं. ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू से जानिए, कोरोना काल में श्राद्ध (Shradh) करने का तरीका

 

कोरोना काल में बदलें पूजा का स्वरूप

नई दिल्ली: ऐसा पहली बार है कि पितृ पक्ष (Pitra Paksh) में तर्पण कराने के लिए कर्मकांडी उपलब्ध नहीं होंगे, भोजन ग्रहण करने के लिए ब्राह्मणों से हामी भरवाना मुश्किल होगा और श्राद्ध कर्म में अपने नजदीकी संबंधी तक सम्मिलित होने से संकोच करेंगे. हिंदू धर्म सदा से ही खुद को समय, स्थान व स्थिति अनुसार ढालता आया है और इसीलिए इसे सनातन धर्म कहते हैं. ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू से जानिए, कोरोना काल में श्राद्ध (Shradh) करने का तरीका: 

  1. कोरोना काल में श्राद्ध करने का तरीका बदलें
  2. घर पर ही करें पूजा-पाठ
  3. इस समय दान का स्वरूप बदल देना भी बेहतर रहेगा

बदल गई श्राद्ध की मान्यता
2020 में श्राद्ध किसी सार्वजनिक प्रदर्शन के बजाय व्यक्तिगत या पारिवारिक दृष्टि से पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पखवाड़ा है. कोरोनावायरस (Corona Virus) के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की अहमियत को समझते हुए आप इस श्राद्ध (Shradh) कर्म को अत्यंत सादगी से अपने घर में स्वयं भी कर सकते हैं. घर में किए गए श्राद्ध का पुण्य तीर्थ-स्थल पर किए गए श्राद्ध से आठ गुना अधिक मिलता है.

कब करें श्राद्ध?
जिस तिथि को किसी पूर्वज का निधन हुआ हो, पितृ पक्ष में उसी तिथि को सूर्योदय से लेकर दोपहर के 12.24 बजे के बीच उनका श्राद्ध करें. इससे पूर्व किसी सुयोग्य कर्मकांडी से तर्पण करा लेना भी अच्छा माना जाता है. इस दिन सात्वित्क भोजन करें. यदि किसी कारण ब्राह्मण या कर्मकांडी उपलब्ध न हों तो आप स्वयं किसी नदी या तीर्थ स्थल या घर के ही किसी उचित स्थान पर भगवान सूर्य को पंडित मानकर पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान करें.

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कैसे करें श्राद्ध?
श्राद्ध करने के कुछ नियम होते हैं. जानें उनके बारे में: 
1. सुबह उठकर स्नान करें. देव स्थान व पितृ स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं.
2. पूजन सामग्री - सर्प-सर्पिनी का जोड़ा, चावल, काले तिल, सफेद वस्त्र, 11 सुपारी, दूध, जल, माला, दिवंगत पूर्वजों की फोटो
3. पूर्व या दक्षिण की ओर मुंह करके बैठें. सफेद कपड़े पर सामग्री रखें. 108 बार माला से जाप करें और सुख-शांति-समृद्धि प्रदान करने तथा संकट दूर करने की क्षमा याचना सहित पितरों से प्रार्थना करें. हाथ में जौ, तिल और चावल लेकर जल के साथ पितृ आत्माओं का नाम लेकर भगवान सूर्य को अर्पित करें. जल में तिल डालकर 7 या 11 बार अंजलि दें. दीप जला कर अक्षत, पुष्प और मिष्ठान चढ़ाएं. पितरों के नाम का एक-एक नारियल चढ़ाएं. 
4. यदि परिवार में पुरुष नहीं हैं तो महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं. शेष सामग्री को पोटली में बांधकर प्रवाहित कर दें. गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालें. हलवा, खीर व भोजन की अन्य चीजें ब्राह्मण, निर्धन ,गाय, कुत्ते व पक्षी को दें.

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कोरोना में बदला दान का स्वरूप
कोरोना काल में दान का स्वरूप बदल गया है. अपनी क्षमतानुसार किसी ब्राह्मण को दान दें. अब चिकित्सा संबंधी दानों का महत्व बढ़ गया है. आप पितरों की याद में इन चीजों का दान भी कर सकते हैं. मास्क, ग्लव्स, ऑक्सीमीटर, पी.पी.ई. किट, थर्मल स्कैनर, दवाएं, सैनिटाइजर, साबुन, नैपकिन, सैनिटरी नैपकिन, औषधीय पौधे या खाद्य सामग्री का दान कर सकते हैं. आप चाहें तो किसी निर्धन की आवश्यकतानुसार सहायता भी कर सकते हैं.

श्राद्ध सारिणी
श्राद्ध की तैयारी के साथ ही उसकी सारिणी का पता होना भी जरूरी है.

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1 सितंबर- महालय पूर्णिमा का श्राद्ध
2 सितंबर- पितृ पक्ष श्राद्ध आरंभ- पूर्णिमा- बुधवार - नाना-नानी का श्राद्ध
3 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध
4 सितंबर- द्वितीया का श्राद्ध
5 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध
6 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध
7 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध - जो अविवाहित अवस्था में परलोक गए हों
8 सितंबर-षष्ठी का श्राद्ध
9 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध
10 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध
11 सितंबर- नवमी का श्राद्ध - सौभाग्यवती का श्राद्ध
12 सितंबर- दशमी का श्राद्ध
13 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध
14 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध - संन्यासियों का श्राद्ध
15 सितंबर- त्रयोदशी का श्राद्ध 
16 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध - शस्त्र, विष, दुर्घटना आदि से मृतकों का श्राद्ध
17 सितंबर- सर्वपितृ श्राद्ध - असमय व अज्ञात तिथि वाले मृतकों का श्राद्ध - पितृ विसर्जन

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