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नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कुछ व्रत और त्योहारों को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है. यह व्रत न केवल व्यक्ति की जिंदगी संवार देते हैं, बल्कि मौत के बाद भी उसके काम आते हैं. ये व्रत उसके पापों का नाश करते हैं और नर्क में जाने से बचाते हैं. उत्पन्ना एकादशी भी ऐसा ही व्रत है. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी में उत्पन्ना एकादशी को भी बहुत अहम माना गया है. उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं. इस साल उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर 2021, मंगलवार को है.
मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से व्रती को मृत्यु के बाद बैकुंठ मिलता है. यह व्रत करने से उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु विशेष कृपा करते हैं. इसके अलावा उसकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं. कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से एक हजार वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है. साथ ही यह व्रत सभी तीर्थ करने जितना फल भी देता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का भी बहुत महत्व है. इस दिन किया दान एक लाख गुना ज्यादा फल देता है.
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उत्पन्ना एकादशी का व्रत एक दिन पहले दशमी के सूर्योस्त से ही शुरू हो जाता है. सूर्यास्त के बाद व्रती को कुछ नहीं खाना-पीना चाहिए. यह व्रत निर्जला करना अच्छा होता है. एकादशी के दिन निर्जला रहने के बाद द्वादशी को व्रत का पारणा किया जाता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. इसके बाद भगवान विष्णु को प्रणाम करके व्रत का संकल्प लें. सूर्य को जल चढ़ाएं. वहीं विष्णु जी पूजा में पीले फूल, पीले फल, धूप, दीप तुलसी दल अर्पित करें. शाम को भी आरती करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)