Holashtak 2021: जानें कब से लग रहे हैं होलाष्टक, इस दौरान शुभ कार्यों पर क्यों रहती है रोक
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Holashtak 2021: जानें कब से लग रहे हैं होलाष्टक, इस दौरान शुभ कार्यों पर क्यों रहती है रोक

रंगों का त्योहार होली इस बार 29 मार्च को मनाया जाएगा लेकिन होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है. क्या है इसका कारण यहां जानें.

होलाष्टक 2021

नई दिल्ली: फाल्गुन का महीना आया नहीं कि हर किसी को बेसब्री से रंगों के त्योहार होली (Holi) का इंतजार रहता है. लेकिन होली से 8 दिन पहले आता है होलाष्टक (Holashtak) जिसे शुभ समय नहीं माना जाता और इस दौरान सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर होलिका दहन (Holika Dahan) तक की अवधि को शास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है. होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है- होली और अष्टक यानी 8 दिनों का पर्व. इस साल होलाष्टक 21 मार्च रविवार से शुरू होकर 28 मार्च रविवार को होलिका दहन के दिन समाप्त होगा. होलाष्टक के इन 8 दिनों में शादी-विवाह, मुंडन समेत कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते, यहां तक की 16 संस्कार जैसे- नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार आदि भी नहीं किए जाते हैं. इसके पीछे पौराणिक और ज्योतिषीय दोनों कारण माने जाते हैं.  

  1. होली से आठ दिन पहले लग जाता है होलाष्टक
  2. होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर रहती है रोक
  3. इसका पौराणिक और ज्योतिषीय दोनों कारण है

होलाष्टक के दौरान वर्जित रहते हैं ये कार्य

वैसे तो 14 मार्च को सूर्य के मीन राशि (Pisces) में प्रवेश के साथ ही खरमास भी शुरू हो गया है, इसलिए भी इस दौरान किसी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य (Auscipious work) नहीं हो रहे हैं. लेकिन होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान भी हर तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है. इस दौरान गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह से जुड़ी बातें, सगाई, शादी-विवाह, किसी नए कार्य की शुरुआत, संपत्ति या घर खरीदना, नए घर की नींव रखना या घर का निर्माण करवाना, नया व्यवसाय शुरू करना जैसे मांगलिक और शुभ कार्य करने की मनाही होती है. लेकिन फाल्गुन का महीना भगवान कृष्ण (Lord Krishna) और शिव जी (Shiv ji) को समर्पित होता है, इसलिए होलाष्टक के इन 8 दिनों में इनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.

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होलाष्टक में शुभ कार्य न करने के पीछे पौराणिक कारण

एक मान्यता के अनुसार कामदेव (Kaamdev) ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी और इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था. कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की जिसे शिवजी ने स्वीकार कर लिया. महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत दुलहंडी यानी रंगों की होली के त्योहार के दिन हो गया. इसी परंपरा के कारण यह 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए हैं.

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होलाष्टक में मांगलिक कार्य न करने का ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष एक्सपर्ट्स के अनुसार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्वभाव के हो जाते हैं. इन ग्रहों के निर्बल होने से मानव मस्तिष्क की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है और इस दौरान गलत फैसले लिए जाने के कारण हानि होने की संभावना रहती है. जिनकी कुंडली में नीच राशि के चंद्रमा, वृश्चिक राशि के जातक या चंद्र छठे या आठवें भाव में हैं उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहना चाहिए. ये 8 ग्रह, दैनिक कार्यों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं.

होलिका दहन का समय 

होलाष्टक- 21मार्च से 28 मार्च तक 
होलिका दहन का समय- 28 मार्च, रविवार को शाम 06.37 से 08.56 बजे तक
रंगवाली होली- 29 मार्च सोमवार को

-ज्योतिर्विद् मदन गुप्ता सपाटू

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