Puri Temple Entry Rules: पुरी के मशहूर जगन्नाथ मंदिर में एक विवाद के बाद ब्रिटिश नागरिक को गिरफ्तार करने का मामला सामने आया है. आरोपी ने ना केवल नियम तोड़कर मंदिर में प्रवेश किया, बल्कि पुलिसकर्मियों से भी हाथापाई की.
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जगन्नाथ मंदिर पुरी में दर्शन : ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में रोजाना बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. मंदिर में प्रवेश से लेकर दर्शन तक के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पालन करना होता है. शनिवार को जगन्नाथ मंदिर में एक ब्रिटिश नागरिक को यहां नियम तोड़ने और मंदिर में हंगामा मचाने और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई करने के चलते गिरफ्तार कर लिया गया. ब्रिटिश नागरिक का नाम थॉमस क्रेग शेल्डन है. शेल्डन के खिलाफ पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया है. बता दें कि करीब हफ्ते भर पहले ही सी बीच थाने के पास उपद्रव करने के आरोप में पोलैंड की एक महिला को हिरासत में लिया गया था.
मुंह ढंककर कर रहा था मंदिर में प्रवेश
जानकारी के मुताबिक 30 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक थॉमस क्रेग शेल्डन अपने चेहरे को ढंककर भक्तों के साथ मंदिर में प्रवेश किया. इसके बाद उसने मंदिर में आए कुछ श्रद्धालुओं के साथ अभद्र व्यवहार किया. तब पुलिस ने शेल्डन को मंदिर से जाने के लिए कहा तो ब्रिटिश नागरिक पुलिस से ही उलझ पड़ा और ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट करने लगा. इसे बाद पुलिस ने शेल्डन को मंदिर से बाहर निकाला और फिर उसे हिरासत में लेकर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया. पुरी के एसपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि ब्रिटिश नागरिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और घटना की जांच की जा रही है.
मंदिर में वर्जित है गैर-हिंदुओं, विदेशियों का प्रवेश
दरअसल, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं और विदेशियों का प्रवेश वर्जित है. 12 वीं शताब्दी में गंग वंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोडगंग द्वारा निर्मित इस मंदिर में हमेशा से ही गैर-हिंदुओं और विदेशियों का प्रवेश वर्जित है. मंदिर के निर्माण के समय से ही यह प्रथा है और आज भी चली आ रही है.
बता दें कि हर साल भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्र और भाई बलभद्र के साथ रथ यात्रा पर निकलते हैं. यह रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाती है. गुंडिचा मंदिर यानी कि अपनी मौसी के घर भगवान जगन्नाथ कुछ दिन आराम करते हैं. इसके बाद वापस जगन्नाथ मंदिर आते हैं.