देवघर: सावन का पहले सोमवार पर भक्तों का उमड़ा जनसैलाब, चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात
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देवघर: सावन का पहले सोमवार पर भक्तों का उमड़ा जनसैलाब, चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, हीलियम बैलून से मॉनिटरिंग के जरिए निगरानी रखी जा रही है साथ ही रेफ,एनडीआरएफ,एसएसबी,एटीएस,बम निरोधक दस्ता,डॉग स्कवायड जैसे सुरक्षा के मद्देनजर तैनात की गई है वही कांवरियों के लिए शरबत पानी बिजली की भी व्यवस्था की गई है. 

सावन में शिव भक्त बड़ी संख्या में देवघर पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

देवघर: सावन के पहले सोमवार पर आज देवघर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है. सावन में शिव भक्त बड़ी संख्या में देवघर पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. खासकर सावन में सोमवारी का खास महत्व होता है. इस बार भी सावन में देवघर में हर साल के मुकाबले अधिक संख्या में कांवरिए पहुंच रहे हैं. 

देर रात से सभी भक्त कतार लगाकर अपनी पारी का इंतजार कर रहे हैं. अमूमन बाबा को जल चढ़ाने के लिए सोमवारी के समय 10-15 किमी लंबी कतार लग जाती है. भीड़ को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बलों की तैनाती की गई है. पहली सोमवारी की भीड़ को देखते हुए सभी पुलिस जवानों की ड्यूटी में इजाफा कर दिया गया है. इस बार के सावन महीने में चार सोमवारी का संयोग है.

वहीं, प्रशासन ने पहली सोमवारी के लिए भी पुख्ता व्यवस्था की है  इस श्रावणी मेला में कुल 12000 से भी अधिक पुलिस पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया है. वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, हीलियम बैलून से मॉनिटरिंग के जरिए निगरानी रखी जा रही है. साथ ही रेफ,एनडीआरएफ,एसएसबी,एटीएस,बम निरोधक दस्ता,डॉग स्कवायड जैसे सुरक्षा के मद्देनजर तैनात की गई है. वहीं, कांवरियों के लिए शरबत पानी बिजली की भी व्यवस्था की गई है. 

कहा जाता है कि भगवान शिव को पूरे सावन दूध और गंगाजल से अभिषेक करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सोमवारी का भी अपना महत्व है. सोम चंद्रमा को कहते हैं और चंद्रमा के ईश्वर भगवान शिव हैं. लिहाजा सोमवारी काफी फलदाई होता है. इसी वजह से शिव को सोमेश्वर कहते हैं. 

कथाओं में वर्णित है कि गंगा का पृथ्वी पर पदार्पण भी सावन के सोमवारी को ही हुआ था. इसी वजह से सोमवारी को उत्तम दिन माना जाता है. सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और हर सोमवारी को एक बेशकीमती वस्तु निकली थी. जानकारों के अनुसार यही कारण है कि आज के दिन पवित्र द्वादस ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक से सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

श्रावणी मेले के दौरान कांवरिए अपने कंधे पर कांवड़ रखकर सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर आते हैं और बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करते हैं. कांवड़ को लेकर चलने में कई नियमों का पालन करना पड़ता है. पवित्रता का काफी ध्यान रखना पड़ता है.

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