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नई दिल्ली: चार धामों में से एक ओडिसा का जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) पूरी दुनिया में मशहूर है. इसे राजा इंद्रद्युम्न ने हनुमान जी (Hanuman Ji) की प्रेरणा से बनवाया था. कहते हैं कि इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ने श्री हनुमान जी को ही सौंपा हुआ है. इसी के तहत हनुमान जी ने समुद्र की आवाज को इस मंदिर के अंदर आने से रोक दिया था. यह वाकई चमत्कारिक है कि समुद्र के करीब होने के बाद भी मंदिर के अंदर समुद्र (Sea) की लहरों की आवाज नहीं आती है, चाहें लहरें कितनी भी ऊंची और विनाशक क्यों न हों.
समुद्र की आवाज मंदिर में आने से रोकने के पीछे एक कथा प्रसिद्ध है. कहते हैं कि एक बार नारदजी भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के दर्शन के लिए आए तो द्वार पर खड़े हनुमान जी ने बताया कि इस समय प्रभु विश्राम कर रहे हैं. नारदजी द्वार के बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे. कुछ समय बाद उन्होंने मंदिर के द्वार के भीतर झांका तो प्रभु जगन्नाथ श्रीलक्ष्मी के साथ उदास बैठे थे. उन्होंने प्रभु से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि समुद्र की आवाज सोने नहीं देती है.
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नारद जी ने जब भगवान की विश्राम में आ रही बाधा की बात हनुमान जी को बताई. तब हनुमान जी ने क्रोधित होकर समुद्र से कहा कि तुम यहां दूर हटकर अपनी आवाज रोक लो. इस पर समुद्र देव ने प्रकट होकर कहा कि हे महावीर हनुमान! यह आवाज रोकना मेरे बस में नहीं. हवा चलेगी तो आवाज आएगी, लिहाजा इसके लिए अपने पिता ने विनति करें. फिर हनुमान जी ने अपने पिता पवन देव से आग्रह करके कहा कि आप मंदिर की दिशा में न बहें. पिता ने इसे असंभव बताते हुए सुझाव दिया कि मंदिर के आसपास एक गोला बना दें जिससे अंदर आवाज न जाए.
हनुमानजी ने पिता का सुझाव मानकर मंदिर के चारों ओर वायु से ऐसा चक्र बना दिया कि समुद्र की आवाज मंदिर के अंदर नहीं जाती है और भगवान जगन्नाथ आराम से विश्राम करते हैं. यह चमत्कारिक है कि मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही समुद्र की आवाज आना बंद हो जाती है लेकिन एक कदम पीछे हटते ही आवाज सुनाई देने लगती है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)