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Vastu Tips for Home in Hindi: आज हम लोग चर्चा करेंगे कि वास्तु दोष हमारे शरीर पर कैसा प्रभाव डालता है. हर स्थान का अपना स्वभाव और कारकत्व होते हैं. वस्तुओं को गलत जगह पर रखने से घर का वास्तु बिगड़ जाता है. प्रतिकूल जगह रखी वस्तुओं के कारण शरीर को कई तरह की बीमारियां घेरने लगती हैं. आइए वास्तु और रोगों के संबंध को जानते हैं.
घर में देवस्थान या पूजा घर के स्थान यानी कि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में यदि टॉयलेट बना हो तो घर के लोगों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. घर के मुखिया के निर्णय अक्सर गलत साबित होने लगते हैं. देखा गया है कि ऐसे घर में निवास करने वालों की उन्नति भी रुक जाती है. यदि लोग ईशान कोण में सोएं तो उन्हें अनिद्रा, बुरे सपने आने, याददाश्त कम होने समेत कई तरह के मानसिक विकारों का सामना करना पड़ता है.
वहीं ईशान कोण में रसोई घर का होना अनेकानेक तनाव और व्याधियों का कारण होता है. ईशान कोण की रसोई घर में बरकत नहीं देती है तथा घर के लोगों को पेट एवं वायु रोगों से पीड़ित करती रहती है. ईशान कोण में दोष हो जाने घर के पुरुष वर्ग को स्त्रियों के अपेक्षा अधिक हानि उठानी पड़ती है. इसी तरह से दक्षिण में वास्तु दोष आ जाने पर महिला वर्ग को पुरुषों से अधिक हानि उठानी पड़ती है.
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दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में अग्नि तत्वों की प्रचुरता रहती है. यहां पर आग जलाने से विशेष लाभ होता है. इस पर स्थान पर जल स्त्रोत बनवाने से या फिल्टर रखने से आंत, आमाशय, फेफड़े संबंधित के रोग होने की आशंका बहुत अधिक रहती है.
उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य कोण में वायु की प्रबलता सदा बनी रहती है. इस कोण में भारी सामान रखने की व्यवस्था हानिकारक साबित होती है. वायु पीड़ा, हड्डी के रोग और मानसिक विकार भारी सामान इस कोण में रखने से उत्पन्न हो सकते हैं. जिनके यहां पर वायव्य में बहुत लम्बे समय से वजनी सामान रखा हो उनके यहां सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, साइटिका और स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है.
दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व प्रधान होती है. यह दिशा खाली रहती है तो घर के सदस्यों में तनाव, गुस्सा अधिक होता है. इस स्थान पर भारी सामान रखना चाहिए. ऐसा करने से घर के लोगों का मन शांत रहता है. यदि इसके विपरीत स्थिति हो तो मन अशांत होता है. रक्तचाप की समस्या का सामना करना पड़ता है. नैऋत्य से यदि भूखण्ड में पानी का रिसाव हो तो घर के मुखिया को असाध्य रोग हो जाते हैं और धीरे-धीरे सेहत गिरती जाती है.
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भवन के बीच का भाग जिसे ब्रह्म स्थान कहते है. इस स्थान पर आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व होता है. यह स्थान खुला और स्वच्छ रखना चाहिए. यहां पर निर्माण या भारी सामान होता है तो घर के लोग उन्माद (पागलपन) के शिकार हो सकते हैं. घर के बच्चे हिंसक हो सकते हैं. मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. ब्रह्म स्थान पर नल या जल संग्रह होता है तो गृहस्वामी के स्वास्थ्य और समृद्धि पर गलत प्रभाव पड़ता है.