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Vishnupad Mandir: उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गयाजी में फल्गु तट भगवान विष्णु के पदचिन्ह लिए विष्णुपद मंदिर देशभर में खूब फेमस है. विश्व में विष्णुपद मंदिर ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवा विष्णु के चरणों साक्षात दर्शन किए जा सकते हैं. बता दें कि विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु का चरण चिन्ह ऋषि मरीची की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर हैं. जानें यहां भगवान विष्णु के चरण कैसे आए.
बिहार के विष्णुपद मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस था, जिसे ये वरदान मिला हुआ था कि जो भी उसके तरफ देखेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगा. ऐसे में लोग गलत लोग भी उसकी तरफ देखकर मोक्ष लेने लगे. ऐसे में भगवान विष्णु ने गयासुर के सिर पर दाहिना पैर रखकर उसे चट्टान पर धकेल दिया. इस वजह से वहां पर पांव का निशान पड़ गया. तभी से इस स्थान की पूजा होने लगी.
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वहीं, गयासुर ने भगवान विष्णु से ये वरदान मांगा कि जितनी भूमि पर गयासुर का शरीर है, वह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाए. इसके साथ ही यह भी कहा कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो. तब से ही गया क्षेत्र पितरों की मुक्ति के लिए पवित्रतम पिंडदान क्षेत्र माना जाने लगा.
इसलिए भी खास है मंदिर
बता दें कि ये मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यहां पर भगवान श्री राम और मां सीता भी आए थे. वहीं, यहां माता सीता ने महाराज दशरथ को पवित्र फल्गु नदी के किनारे बालू से बना पिंड अर्पित किया था. इसके बाद से ही इस स्थान पर बालू से बने पिंडदान की प्रथा है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)