प्रयागराज: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान शुरू, संगम में डुबकी लगाने उतरे साधु-संतों समेत करोड़ों श्रद्धालु
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प्रयागराज: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान शुरू, संगम में डुबकी लगाने उतरे साधु-संतों समेत करोड़ों श्रद्धालु

डुबकी लगाने सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा संगम तट पर पहुंचा. साथ में अटल अखाड़ा भी शामिल था.

शाही स्नान के लिए सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा संगम तट पर पहुंचा. साथ में अटल अखाड़ा भी शामिल था.

प्रयागराज: मौनी अमावस्या के मौके पर सोमवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के मिलन स्थल संगम में हजारों साधु-संतों समेत करोड़ों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. 15 जनवरी से शुरू हुए कुंभ में मौनी अमावस्या पर तीसरा शाही स्नान है. पहला शाही स्नान कुंभ के शुरुआती दिन मकर संक्रांति पर हुआ था जबकि दूसरा स्नान 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर हुआ.

सोमवार सुबह 6.15 बजे से ही संन्यासी अखाड़ों के साधु-संतों समेत हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई. सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा संगम तट पर पहुंचा. साथ में अटल अखाड़ा भी शामिल था. इसके बाद बैरागी और उदासीन अखाड़ों के स्नान का समय तय किया गया है.

उनके अलावा महिलाएं और बच्चे स्नान के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर 'कुंभनगर' पहुंचे. मुख्य तिथियों के दिन स्नान में कोई परेशानी नहीं आए, इसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. 'मौनी अमावस्या' शाही स्नान से पहले कुंभ की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. पूरे इलाके को 10 जोन और 25 सेक्टरों में बांट दिया गया है, जिसकी निगरानी एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) स्तर के अधिकारी द्वारा की जा रही है.

बन रहा है अद्भुत संयोग
बता दें यह मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का दुर्लभ योग पूरे 71 साल बाद बन रहा है. जिसके चलते संगम पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 4 करोड़ तक हो सकती है. मान्यता है कि इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में मौन रहकर डुबकी लगाने पर अनंत फल की प्राप्ति होती है. बता दें रविवार रात 2.27 बजे से 4.57 तक श्रवण नक्षत्र है. ऐसे में इस मुहूर्त में स्नान करना सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग सर्वप्रकार से अमृततुल्य है.  मौनी अमावस्या पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें क्या है स्नान-दान और पूजा का शुभ मुहूर्त

सबसे बड़ी अमावस्या
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इसे सबसे बड़ी अमावस्या माना गया है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान कर अक्षय पुण्यफल प्राप्त की जा सकती है. शिव महापुराण में मौनी अमावस्या का महत्व बताया गया है कि जो भी मनुष्य इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके सच्चे मन से दान करता है उस पर समस्त ग्रह-नक्षत्रों की कृपा बनी रहती है. मौनी अमावस्या पर भूलकर भी न करें ये काम, हो सकती है बड़ी हानि

क्या है मान्यता
मान्यता है कि जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले तो देवताओं और राक्षसों की लड़ाई की वजह से अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे संगम में गिर गई थी, इसलिए नदी स्नान से अमृत प्राप्त होता है जो ग्रह कष्ट निवारण में सहायक होता है. इस दिन भगवान मनु का भी जन्म हुआ था. इस व्रत को मौन धारण करके व यमुना या गंगा में स्नान करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है. चंद्रमा मन के स्वामी हैं पर अमावस्या को चंद्र दर्शन नहीं होने से मन कमजोर होता है. अतः मौन रखकर मन को संयम में रखने और मानसिक जाप करने से मन शांत रहता है. जिससे जीवन में भी शांति बनी रहती है.

(इनपुट-एजेंसियों से भी)

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