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Brari Mauj Temple: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में स्थित बरारी मौज मंदिर के द्वार 30 साल बाद खोले गए हैं. बता दें कि ये ऐतिहासिक मंदिर मुर्रान गांव में स्थित है. इस दौरान मंदिर में कश्मीरी पंडितों ने विशेष रूप से पूजा-अर्चना की. बताया जा रहा है कि मुर्रारन गांव के बरारी मंदिर के द्वार हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर खोले और यहां पर विशेष पूजा कर प्रसाद भी बांटा. दोनों समुदायों द्वारा यहां पर मिलकर हवन भी किया गया.
मां पार्वती की मूर्ति की स्थापित
51 वर्षों के अंतराल के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय ने जिला पुलवामा के मुर्रान गांव में यज्ञ का आयोजन कर माता पार्वती का जन्मदिन मनाया. मंदिर में माता की नई मूर्ति भी स्थापित की गई, जो 1993 में खंडित हो गई थी. पुलवामा के मुर्रान गांव में यह असामान्य दृश्य था, जहां कश्मीरी पंडितों और स्थानीय मुसलमानों द्वारा एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था.
बराड़ी मौज (माता पार्वती) मंदिर के रूप में जाना जाने वाला मंदिर, जो लगभग 82 वर्ष पुराना है और मेला खीर भवानी से पहले कश्मीरी पंडित मंदिर में माता पार्वती का जन्मदिन मनाते थे. लेकिन 1973 में यह प्रथा बंद हो गई, लेकिन मंदिर में नियमित पूजा जारी रही.
हिंदू-मुस्लिम मिलकर करते हैं हवन
इस मौके पर मंदिर के पंडितों ने बताया कि मुर्रान गांव में परंपरा है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के सदस्य मिलकर इस अवसर पर खुशियां बांटते हैं. उन्होंने बताया कि वे लंबे समय पर अपने पंडित भाइयों के साथ यहां एकत्रित हुए हैं और हवन कर रहे हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय के लिए बताते हुए कहा कि वे हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं.