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नई दिल्ली: भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) और राधा (Radha) के अटूट प्रेम की कहानियां आज भी जन-जन में सुनाई जाती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार भगवान श्रीकृष्ण संकट में पड़ गए थे. उन्हें इस संकट से निकालने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था. तभी श्री राधा अपने प्रिय भगवान श्रीकृष्ण को इस मुसीबत से निकालने के लिए नर्क लोक की यातना सहने को भी तैयार हो गई थीं.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार नंदलाल श्रीकृष्ण (Shri Krishna) काफी बीमार पड़ गए. कोई भी दवा या जड़ी-बूटी उन पर काम नहीं कर रही थी. सब लोग उनकी गिरती सेहत को लेकर चिंतित थे. उन्हें परेशान देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें अपने ठीक होने का उपाय बताया. जिसे सुनकर सब सोच में पड़ गए.
श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने कहा कि उनका कोई परम भक्त या स्नेही अगर उनकी चिंता करता है तो वह आगे आए. वह अपने पैरों को धोकर उस जल उन्हें (श्रीकृष्ण को) पीने के लिए दे. उस चरणामृत को पीकर वे निश्चित रूप से ठीक हो जाएंगे. उनका यह उपाय देखने में भले ही आसान था और उनसे प्रेम करने वाली असंख्य गोपियां उन्हें ठीक भी करना चाहती थीं. इसके बावजूद वे चिंता में डूबी थीं.
उनकी चिंता का कारण यह था कि अगर किसी गोपिका ने अपने पैर धोकर उसका चरणामृत (Charanamrit) श्रीकृष्ण को दे दिया और उसे पीने के बावजूद वह ठीक नहीं हुए तो उन्हें पाप चढ़ जाएगा. ऐसे में उस पाप के लिए उन्हें नर्क (Hell) भोगना पड़ेगा. सभी गोपियां व्याकुल होकर श्रीकृष्ण की ओर ताक रहीं थी और किसी दूसरे उपाय के बारे में सोच रही थी.
उसी दौरान वहां पर श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की प्रिय राधा (Radha) आ गईं. जैसे ही उन्होंने श्रीकृष्ण को बीमार हालत में देखा तो उनके जैसे प्राण ही निकल गए. जब उन्होंने वहां खड़ी गोपियों से कारण पूछा तो उन्होंने सारा किस्सा बता दिया. साथ ही उन्हें ठीक करने का हल भी राधा को बताया.
राधा ने जैसे ही श्रीकृष्ण को ठीक करने का उपाय सुना. उन्होंने एक पल की देरी किए बिना पानी मंगाकर अपने पांव धोए और उसका चरणामृत (Charanamrit) बनाकर श्रीकृष्ण को पीने के लिए दिया. राधा की ओर से चरणामृत पिलाते देख बाकी गोपियां सन्न खड़ी थी. उन्हें लग रहा था कि अगर ये उपाय सफल नहीं हुआ तो राधा पाप की भागी बन जाएंगी.
राधा (Radha) भी इस बात को समझ रही थीं. उन्हें भी लग रहा था कि अगर उनका चरणामृत पीकर भी श्रीकृष्ण ठीक नहीं हुए तो उन पाप पर चढ़ जाएगा. जिसका पश्चाताप उन्हें नर्क भोगकर करना होगा. फिर भी अपने प्रिय के लिए वे इस नर्क को भोगने के लिए भी तैयार थीं.
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श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने मद्धिम मुस्कान के साथ राधा और बाकी गोपियों की ओर देखा. इसके बाद राधा (Radha) के हाथों से चरणामृत लेकर पीकर पी गए. उस चरणामृत को पीते ही श्रीकृष्ण के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और वे तुरंत ही ठीक हो गए. उन्हें ठीक होते ही सभी गोपिकाओं ने राधा-श्रीकृष्ण की जयकार की. यह राधा की सच्ची निष्ठा और प्यार ही था कि कृष्णजी तुरंत स्वस्थ हो गए.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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