Ram Katha: क्या आप जानते हैं कैसे और कब ली थी प्रभु श्री राम ने जलसमाधि, जानें इससे जुड़ी पूरी कहानी
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Ram Katha: क्या आप जानते हैं कैसे और कब ली थी प्रभु श्री राम ने जलसमाधि, जानें इससे जुड़ी पूरी कहानी

Ram Death Story: अगर आप भगवान श्री राम के परम भक्त हैं, तो आप भी इस बात को जानने के इच्छुक होंगे कि प्रभु श्री राम की मृत्यु कैसे हुई थी. आज इस लेख में हम जानेंगे श्री राम की मृत्यु से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में. 

 

ram katha

How Shri Ram Died In Hindi: देशभर में भगवान श्री राम के लाखों भक्त हैं. कहते हैं कि श्री राम के नाम से ही भक्तों को प्रभु श्री राम की कृपा प्राप्त हो जाती है. रामयण का नाम आते ही भगवान श्री राम की छवि आंखों के आगे आ जाती है. शास्त्रों के अनुसार प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं और पुराणों में इस बात का वर्णन मिलता है. प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी आज भी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो अनसुनी हैं. आज हम जानेंगे प्रभु श्री राम की मृत्यु से जुड़ी कहानी के बारे में. 

कब हुआ था प्रभु श्री राम का जन्म

पुरौणिक मान्यता के मुताबिक प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था. श्री राम ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर बड़े बेटे के रूप में जन्म लिया था. प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार है. उनके कृत्यों के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है.

जानें कैसे हुई थी प्रभु श्री राम की मृत्यु  

पहली कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्री राम की मृत्यु से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं. एक कथा के अनुसार माता सीता ने अपने बच्चों लव-कुश को भगवान श्री राम के पास सौंपा और धरती में समा गईं थी. माता सीता के जाने के बाद भगवान श्री राम बहुत दुखी हो गए थे और उन्होंने यमराज से सहमति लेकर सरयू नदी में समाधी ले ली थी.  

दूसरी कथा

पद्मपुराण के अनुसार प्रभु श्री राम ने अपना अवतारकाल समाप्त करके जब ऋषि का रूप धारण किया, तभी यमराज भी एक ऋषि का रूप धारण करके आए और प्रभु राम से बात करने का आग्रह किया. उस समय प्रभु श्री राम ने यमराज से कहा कि हमारे बीच कोई न आए. 

साथ ही, भाई लक्ष्मण से कहा कि वे एकांत में रहकर यमराज से बातचीत करना चाहते हैं. इसलिए आप दरवाजे पर खड़े हो जाएं, ताकि कोई अंदर प्रवेश न कर सके. लेकिन इतनी देर में वहां ऋषि दुर्वाशा आकर प्रभु श्री राम से मिलने का आग्रह करने लगे. लक्ष्मण जी के मना करने पर भी वे नहीं मानें और क्रोधिक हो गए.  ऋषि के क्रोध से बचने के लिए लक्ष्मण जी कमरे में प्रवेश कर गए. उस समय श्री राम यमराज से बातचीत कर रहे थे. लक्ष्मण जी को कमरे में देख श्री राम लक्ष्मण जी पर कुपित हुए और उन्हें मृत्यु दंड देकर देश निकाला दे दिया. लक्ष्मण जी के लिए ये मृत्यु के समान ही थी, इसलिए वे सरयू नदी में समा गए और शेषनाग का रूप धारण कर लिया. भाई लक्ष्मण को जलसमाधि लेता देख श्री राम बहुत आहत हुआ और उन्होंने भी जलसमाधि लेने का निर्णय लिया. मान्यता है कि भगवान श्री राम सरयू नदी में गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया.  इस तरह श्री राम मानव शरीर त्याग कर बैकुंठ धाम चले गए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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